- 178 Posts
- 240 Comments
इस 31 अक्टूबर को इंदिरा गाँधी की मौत को तैंतीस वर्ष पूरे हो गये, लेकिन इंदिरा का योगदान भारत कभी भूल नहीं सकता। इंदिरा भारत की समस्याओं का राजनीतिक हल निकालना बखूबी जानती थीं। अपने समकालीन सभी दलीय बुजुर्ग नेताओं के लिये वे सदैव इंदु ही रहीं। कृपलानी, जयप्रकाश से राजनीतिक बैर के बाबजूद इंदिरा उनसे देश की स्थितियों पर विचार करती थीं।
2012 में ग्लोबल आर्थिक मंदी से भारत को बचाने वाली यूपीए सरकार की नीतियां नहीं, बल्कि इंदिरा द्वारा चलाई गयी लघु बचत योजनाओं में निवेश था और अर्थशास्त्री पीएम को भी दस वर्षीय एनएससी लानी पड़ीं थीं, तब जाकर भारत मंदी से बच सका। इंदिरा के बीस सूत्रीय कार्यक्रम तो इंदिरा के समय से भी अधिक आज प्रासंगिक हैं और जहाँ तक आपातकाल की बात है, तो ऐसा निर्णय लेने की क्षमता केवल इंदिरा में ही थी।
वह इंदिरा ही थीं जिन्होंने राजनीतिक कॅरियर दांव पर लगाकर स्वर्णमंदिर आतंकियों से खाली कराया और बांग्लादेश को आजाद कराने वाली ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ तो पाकिस्तान कभी भूल ही नहीं सकता। अटल जी को विपक्ष में होने के बाबजूद यूएन भेजने वाली भी इंदिरा ही थीं। संक्षेप में यह कहना कतई गलत न होगा कि इंदिरा एक व्यक्ति नहीं, बल्कि अपने आप में एक संस्था थीं।
हैजा, खसरा, चेचक, मलेरिया, टीबी, डिप्थीरिया, टिटेनस, एक समय में यमदूत थे, लेकिन उन पर सफल नियंत्रण पाना भी इंदिरा की ही उपलब्धि थी। परिवार नियोजन और बच्चों के टीकाकरण को राष्ट्रीय अभियान बनाने वाली इंदिरा ही थीं। इंदिरा ने कौन सा विषय नहीं छुआ था और जैसी परिस्थितियां थीं, उनके अनुसार इंदिरा ने अपना सर्वोत्तम देश को दिया।
Read Comments