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चरणागति एक संभावित संकट
मंदिर के बाहर बैठे भिखारियों की श्रद्धा आस्था और निष्ठा न भगवान् में होती है और न ही दानदाता में /मंदिर में भाग्य की बिगड़ी संवारने आया दानदाता भिखारियों को ठीक वैसे ही लगता है जैसे चुनावों से पहले इनकी चौखट पर आकर इनकी वोट मांगकर अपनी किस्मत जगाने आया एक राजनेता /दान में प्राप्त प्रसाद, रूपया, कपडा, बर्तन आदि सब अपनी झोली में डालकर वह भिक्षुक क्रमशः एक नये दानदाता की प्रतीक्षा में बना रहता है क्योंकि पहले दानदाता को यथाप्रसाद तथाआशीर्वाद देकर उसका अहसान उतारकर वह भिक्षुक आगुन्तक की प्रतीक्षा करता है यानि अप्रसन्नता असंतुष्टि खीज मूल में निहित है /इनको धर्म अधर्म बेईमानी ईमानदारी झूठ सच भ्रष्टाचार राजनीतिक दलों और राजनेताओं में कोई दिलचिस्पी नहीं बल्कि दानराशि तक ही व्यवहार सीमित है /भारत में पच्चीस प्रतिशत निरक्षर और शेष शिक्षित बतायी जाती है /पच्चीस प्रतिशत निरक्षर किसी भी प्रलोभनवश अपना मताधिकार प्रयोग प्रलोभानुसार करते हैं तो उनको दोष देना ठीक नहीं लेकिन जब सर्वोच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति किसी तृतीय श्रेणी में बामुश्किल एक हाई स्कूल पास राजनेता की चरणागति स्वीकार कर उसको भारत का भाग्य विधाता मानकर उसकी अंधभक्ति करने लगे तो देश का बंटाधार सुनिश्चित है/भारत की जितनी भी काउंसिलें हैं उन सबके सदस्य बनने के लिये विषय संबंधित एक न्यूनतम शैक्षिक डिग्री अनिवार्य है लेकिन संसद सबसे बड़ी काउन्सिल होने के बाबजूद यहाँ शिक्षा का कोई मूल्य नहीं और मंत्रालय पद आवंटन में विषयज्ञान का संदर्भ तक नहीं तो भारत ऐसे राजनेताओं के हाथ में सुरक्षित रहेगा या फिर कठपुतली ?सोचिये !!!
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