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नेताओं का भीं फिटनेस और मेडिकल अनिवार्य हो
बात देश की सीमा की रक्षा करने वाली सेना की हो या फिर देश के संविधानिक संस्थाओं की रक्षा करने वाली लोकपालिका की हो ,इन दोनों में कोई खास अंतर नहीं है क्योंकि वैसे भी पेंशन केवल इन्ही दो संस्थाओं के मिलती है /सेना में ही क्या बल्कि अन्य सभी प्रकार की ही सरकारी एवं अर्धसरकारी नौकरियों में मेडिकल परीक्षण अनिवार्य होता है और यदि आवेदक या उम्मीदवार किसी जटिल गंभीर आनुवांशिक रोगों से ग्रसित हुआ पाया जाता है तो लिखित परीक्षा और साक्षात्कार उत्तीर्ण करने के बाबजूद भी भर्ती से रोक दिया जाता है /लोकपालिका के पहरेदारों के कारण न्यायपलिका सहित देश की सभी संविधानिक संस्थाओं पर संदेह और पक्षपात के बादल गहरा रहे हैं और ये कहाँ कितना कब कैसे बरसेंगे यह आने वाला समय ही बतायेगा ?लेकिन जिन लोकतंत्र के पहरेदारों के कारण आज पूरा देश स्तब्ध है ,उनकी सत्यनिष्ठा पर भी अब जनतंत्र को गंभीरता से विचार करना होगा /अगर मुख्यन्यायाधीश पर महाभियोग चल सकता है तो माननीयों के संविधान विरुद्ध आचरण पर क्यों नहीं जिन पर हत्या बलात्कार अपहरण सरकारी धन की लूट जैसे गंभीर आरोपों पर मुक़दमे लंबित हैं ?क्यों न माननीयों की किसी भी सदन की सदस्य्ता ग्रहण करने से पहले एक लिखित परीक्षा ,शारीरिक एवं मेडिकल परीक्षण अनिवार्य हो क्योंकि आजीवन मुफ्त में इलाज की सेवा सबसे अधिक ये माननीय ही प्राप्त कर रहे हैं जिसका मूल्य भारतीय करदाता चुकाता है /बूढ़े अल्पशिक्षित बीमार माननीय भला किस काम के हैं ?
रचना रस्तोगी
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