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समीकरण नहीं बल्कि दुखीकरण है कारण

bharat
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समीकरण नहीं बल्कि दुखीकरण है कारण
उपचुनाव पटखनी पर जहाँ भाजपाई बुआ बबुआ पाप समझौता कारण बता रहे हैं तो उधर गैरभाजपाई इसे दलित मुस्लिम गठजोड़ बताकर सेक्युलरिज्म की जीत बता रहे हैं /एक राज्यसभा भाजपाई कहता है कि जो अपनी सीट न बचा सका तो उसको प्रमुख पद क्यों जबकि हकीकत में जितने भी राज्यसभा भाजपाई हैं अगर वे अपने दम पर नगरनिगम पार्षद का ही चुनाव जीत लें तो उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी /अपने दम पर सौ आदमी भी इकट्ठे न कर सकने वाले कुछ भाजपाई ऐसे बोल रहे हैं कि जैसे उनकी जनता में बहुत भारी पकड़ है जबकि सड़क पर दो सांडों की लड़ाई देखने के लिये ही सैकड़ों की भीड़ इकट्ठी हो जाती है /भारत का हिन्दू अगड़ा पिछड़ा दो वर्ग में बंटा हुआ है और यह खाई निरंतर बढ़ती जा रही है जिसे मोदी ने भी इसे चौड़ा ही किया है /पिछड़े वर्ग के तो सारे ही खेवनहार हैं लेकिन अगड़े यानि सवर्ण की आशा भाजपा से ही बँधी थी क्योंकि यही भाजपा का परंपरागत वोटबैंक रहा है और मोदी सरकार से सबसे ज्यादा दुःखी व्यापारी वर्ग ही है और यही वर्ग जब उदासीन हुआ तो परिणाम सबके सामने है और इसका प्रमाण स्वयं विश्व बैंक ने ही जीएसटी को सबसे जटिल प्रक्रिया बताकर दिया है /सभी लोकसभा उपचुनावों में हुई शर्मनाक हारों का प्रमुख जिम्मेदार वित्तमंत्री और दूसरा कारण राज्यसभा से मंत्री बनाये गए सांसदों की एरोगेंस है/योगी की कर्मठता सत्यनिष्ठा में कोई कमी संदेह नहीं बल्कि नाराजगी केंद्र सरकार की नीतियों से है जिसे अगर समय रहते दूर न किया गया तो आगामी लोकसभा चुनाव परिणाम भी ऐसे ही होंगे /कार्यकर्ता पार्टी का गुलाम नहीं लेकिन अपनी अनदेखी से वह भी दुःखी है/यह पटखनी सहयोगी दलों के राजनीतिक मूल्य को भी बढ़ा गयी जो आगे देखने को मिलेगी /

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