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“सर” नया “कार” पुरानी

bharat
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“सर” नया “कार” पुरानी
हुजूर ,मालिक ,सरकार ये शब्द कभी पहले गुलाम भारत में भारतीयों की विवशता का पर्याय हुआ करते थे लेकिन आजादी के बाद भी हालत वही है अगर कुछ बदला है तो इन शब्दों को सुनने वालों का हर पांच साल बदलता चेहरा और सुनाने वाले तो लगभग वही सब हैं /सत्तर सालों से एक यही बात कि हम यह बदल देंगे ,हम वो बदल देंगे ,हम ये कर देंगे, हम ऐसा कर देंगे और वैसा कर देंगे ,सुनते आये हैं और उन्होंने ये चुराया वो चुराया ,उन्होंने देश का इतना माल बेच खाया और हम तो केवल इतना ही बेच सके क्योंकि हमें अवसर कम मिला परंतु लेकिन हमारा खाना राष्ट्रहित में था और उनका राष्ट्रद्रोह में गिना जाना चाहिये था /सत्तर साल पुरानी कार जिसमे इंजन पुराना ,कार्बोरेटर पुराना ,वायरिंग पुरानी ,टायर रिम जंग खा चुके हों तो केवल टायर बदलने या ड्राइवर बदलने से कोई खास अंतर नहीं आयेगा क्योंकि कार का ऐवरेज तो वही पुराना रहेगा चाहें भले ही इसमें बीएस 6 ,7 ,8 का पैट्रोल भरदें /पुरानी कार को भी सड़क पर चलाने की एक अधिकतम आयु सीमा तय की हुई है और इसका कारण भी स्पष्ट है कि एवरेज ,प्रदूषण ,ईंधन बचत सभी पहलु ध्यान में रखे जाते हैं तो फिर यही सिद्धांत नेताओं पर लागु क्यों नहीं होते क्योंकि आयु बढ़ने के साथ साथ बुद्धि तो इनकी भी भिसट जाती है या फिर इनमे भगवान् ने कोई स्पेशल कलपुर्जा फिट किया हुआ है कि जो ये बोलें कहें करें उसपर संदेह शक संशय नहीं किया जा सकता ?देश को खोखला कर चुके नेतागण सभास्थलों पर तो अपने कुर्तों पाजामों की जेबें खाली रखते हैं परंतु हैसीयत देश खरीदने की रखते हैं लेकिन बड़प्पन साहब का इतना कि फिर भी अपने को नौकर ही कहते हैं /कमाल का है जी “हमारा लोकतंत्र”

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