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बुद्ध पूर्णिमा पर विशेष – आज के दौर में प्रासंगिक है गौतम बुद्ध

सीधी बात
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कभी -कभी लगता है कि हम भारतवासी धर्म को लेकर कुछ ज्यादा ही धर्मभीरु बन जाते है जबकि धर्म वास्तव में जीवन को जीने का समझने का एक जरिया है हम राम ,कृष्ण के अवतार की बात करते है क्योंकि जब -जब मानव का पतन हुआ तो इन्ही अवतार के कारण ही उसने मानवीय मूल्यों को पहचाना गौतम बुद्ध जिन्होंने राजकाज का त्याग किया तो सिर्फ इसलिए कि उन्हें तलाश थी तो उस सत्य की जो उन्हें शांति और सुख देता इसलिये गौतम बुद्ध उस रस्ते पर चल पड़े जो संसार तथा उसकी मायावी चीजो से दूर था |
गुरु नानक , महात्मा बुद्ध अथवा गाँधी जैसे प्रेरणादायी और सदमार्गपर चलने वाले महापुरुषों के बारे में जानना तथा उनके जीवन मूल्यों को पढना तथा यह जानना कि किस प्रकार उन्होंने त्याग ,तपस्या तथा मानव जीवन के उद्धार के लिए अपने ज्ञान के प्रकाश से हमारी आने वाले दिनों की एक बेहतरीन इबारत लिखी वह वास्तव में आज के दौर में ज्यादा प्रासंगिक है ऐसे वक्त में जबकि मानव अपने होने का अर्थ भूल चुका हो जबकि टेक्न्लाजी के विकास ने जीवन को सुविधामयी बना दिया हो , मानवीय मूल्य भोग -विलासिता के बोझ तले दब चुके हो मानवता कराह रही हो कहने को हम एक विकासशील देश की जागरूक पीढ़ी है जबकि वास्तव में एक सोया हुआ समाज हम बना चुके है जहाँ पैसा सर्वोपरि हो चुका है | भोगवाद का दौर चल रहा हो बाजारवाद किस तरह से हम पर हावी हो चुका है कि जिन्हें कल तक हम अपने युवा पीढ़ी का नायक मान बैठे थे एक झटके में उनका असली चेहरा सामने आ जाता है और वह पूरी तरह से पैसे के गुलाम तथा अय्याशियों में डूबे हुए उस युवा कि तरह सामने आ जाते है जिनकी कम उम्र तथा बहके और डगमगाते कदमो को देखकर लगता है यह युवा वर्ग किस अनजान तथा भयावह रास्तो पर चल पड़ा है ? या तो इसके सामने कोई रोल माडल ऐसा न रहा हो जिससे युवा कुछ भी प्रेरणा ले सकते हो या इन्हें वाकई में महात्मा बुद्ध जैसे महान त्यागी तथा चिंतक के बारे में कुछ भी मालूम नहीं है | कितनी प्रेरणास्पद जीवन रहा है एक राजकुमार ने अपना घरपरिवार तथा भोग -विलास के जीवन को त्याग कर किस तरह से एक तपस्वी कि भांति अपने जीवन को सत्य कि खोज तथा मानव हित में लगा दिया सिर्फ हमारे देश में ही नहीं श्रीलंका ,चीन ,जापान ,थाईलैंड और कम्बोडिया जैसे देशो में बौद्ध धर्म ने अपना परचम फहराया और आज भी इस धर्म के लाखो ,करोडो अनुयायी है जो बुद्ध कि महत्ता को पूरी तरह से स्वीकार करते है तो फिर हमारे अपने ही देश में जहाँ उन्हें निर्वाण मिला उनके दिखाए रास्तो पर चलने वाले कितने लोग है ? बहुत जरुरी है कि हम बुद्ध ,गाँधी तथा नानक जैसे संत तथा महात्माओ के जीवन को न भूले और तथा त्याग ,तपस्या और परमार्थ के रास्ते पर चलने का प्रयत्न करे अहिंसा जैसे शस्त्र को धारण करे और अपने जीवन को सुखमय बनाये महात्मा बुद्ध के जीवन से जुडी एक घटना का उल्लेख करके मन कि चंचलता तथा उसे साधने के लिए किये जाने वाले प्रयत्न के बारे में बताना आवश्यक है कि किस तरह से किसी मार्ग से एक बार तथागत जा रहे थे राह में एक साफ सुथरी नदी पड़ी उसे पार करके दूसरी तरफ लोग बढ़ गए | थोड़ी दूर जाने पर उन्हें प्यास लगी तो उन्होंने अपने शिष्य से उस तालाब से पानी लाने को कहा मगर शिष्य ने जा कर देखा तो तालाब बहुत गंदा हो चुका था जो पानी स्वच्छ दिख रहा था वही अब बहुत मटमैला दिख रहा था शिष्य बहुत दुखी हुआ वापस बुद्ध के पास आकर उसने गंदे पानी के बारे में बताया बुद्ध बे उससे कहा कि चूँकि उस तालाब से होकर बहुत लोग आ जा रहे है इसलिए थोड़ी प्रतीक्षा करो जब पानी कि हलचल रुक जाएगी तो साफ पानी ऊपर आएगा और गंदगी नीचे बैठ जाएगी थोड़ी देर बाद शिष्य ने जा कर देखा तो वास्तव में पानी पूरी तरह से साफ़ और निर्मल था उसने अपने गुरु के लिए पानी लिया और बहुत प्रसन्न भी हुआ ठीक इसी तरह से हमारे मन में भी कई विचार आते -जाते रहते है थोडा धैर्य ,थोडा शांति और थोडा विश्वास रखे तो अच्छे विचार उस तालाब के पानी की तरह ही हमारे जीवन को प्रभावित करेंगे
बुद्ध पूर्णिमा पर हार्दिक बधाइयाँ !!

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