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आज सोचिये तो किस तरह कि घटनाये हो रही है जिस बात को आपस में बैठ कर बातचीत करके सुलझाया जा सकता हो उसी बात को घर के बड़े ,बुजुर्ग ही इतना बड़ा बना देंगे कि अक्सर इस तरह के प्यार में नाकाम लोग कुछ भी कर गुजरते है दरअसल इस तरह की जो भी घटनाये होती है उसमे सारा दोष लडको के मनचलेपन को ले कर उन्हें ही दोषी ठहरा दिया जाता है जबकि इन सभी मामलो में पुरुषो से कही ज्यादा एक माँ इस तरह के मुद्दे को धैर्य पूर्वक समझा सकती है | जो भी लड़का किसी भी लड़की को चाहने लगता है उसे पाने के लिए किसी हद तक जाने को तैयार हो जाता है इसी से जुडी घटना को ले कर आज एक वाकया याद आया तो लगा एक माँ की महानता तथा समझदारी को याद करने का इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता माँ शब्द कितना विस्तृत , कितना विशाल भला एक दिन क्या सात जन्म भी कम पड़ जाये जब इतनी बड़ी शख्सियत के बारे में दो शब्द कहना पड़ जाये सच माँ ही वह ताकत है जिसके कारण आज इस दुनिया का वजूद कायम है घटना उस समय की है जब ग्रेजुएशन करने के लिए एक डिग्री कालेज में एडमिशन लिया , मेरे साथ ही जिस दूसरी लड़की ने उस कालेज में कदम रखा वह सुन्दर होने के साथ -साथ पढ़ने में भी बहुत अच्छी थी जल्दी ही हमारी दोस्ती भी हो गयी वह जितनी गम्भीर तथा कम बोलने वाली थी मै बिलकुल उसके विपरीत शायद यही एक वजह थी की दो विपरीत स्वभाव के लोगो में गहरी छनने लगी खैर जैसा कि होता है कालेज में पीछे भी लोग पड़ते भी थे एक लड़का तो उस दोस्त का ऐसा दीवाना कि सिर्फ घर पहुँचाने और ले आने कि जिम्मेदारी ही नहीं ऍन कालेज का एक्जाम चल रहा था बेचारी पढ़ाकू लड़की उसके सामने आ कर आशिक महोदय प्रणय -निवेदन करने लगे मेरी दोस्त को तो ‘ काटो तो खून नहीं ‘ बहुत गुस्साई बात यही तक नहीं रुकी हठधर्मिता तो देखिये आशिक महोदय पहुँच गए अपनी बड़ी बहन को ले कर उस लड़की के घर अपनी शादी कि बात करने के लिए ! मगर कहते है कि माँ तो माँ होती है अनुभव तथा धैर्य का भरपूर खजाना होता है उसके पास | न घर में भाइयो को खबर लगने दी न किसी रिश्तेदार को आराम से बैठा कर चाय ,नाश्ता करायी घर खानदान के बारे में पूछा जन्म ,गोत्र तथा और जो कुछ भी पूछ करके सामने से मना कर दिया कि बेटा , तुम्हारा और हमारा गोत्र तो एक ही है भला एक ही गोत्र में शादी कैसे हो सकती है ?
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