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यह वो हकीकत है जो निगाहों से बयाँ होती है

सीधी बात
सीधी बात
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फिर से घुला है रंग फिजाओ में

या दी है दस्तक किसी अपने ने !

बिखरी है फिर से नूर की बारिश

या Flowersफिर मौसम ने की है कोई शरारत !

एक अजीब नशा सा घुल गया है

या मौसम ने ली है अंगड़ाई !

फूलों में भी अक्स उनका है

ख्वाबो में भी आ जाते है वो !

मत रोको मुझे उनकी याद से

इस सहारे ही तो कटते है मेरे दिन !

रुक -रुक के आती -जाती सांसों ने

जीना किया है दुश्वार !

या ख़ुदा करा दे दीदार उनका

या ले ले मुझसे मेरे होने का भरम !

दिल को बहलाने का सामान बहुत है

मगर दिल ही कोई लिए जाता है तो क्या !

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