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नरेंद्र मोदी सरकार कई मामलो में बेहतरीन काम कर रही है.जैसा कि श्री अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार ने किया था.सड़क, रेल, रक्षा,विदेश, अर्थव्यवस्था और बिजली के मामले में इसका प्रदर्शन उच्चत्तम स्तर पर रहा है.
सत्ता में आने के शुरुवाती २ साल तक मोदी सरकार का फोकस गरीबो और मध्यम वर्ग पर रहा लेकिन पिछले १.५ वर्ष से सरकार का पूरा ध्यान अर्थव्यवस्था से जुडी नीति पर ही रह गया है.आम आदमी के मुद्दे पीछे छूटते चले गये है.अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए नोटबंदी और GST जैसे बड़े फैसले लिए गये जिनका सकारात्मक प्रभाव हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर आने वाले कुछ समय में दिखने लगेगा.
लेकिन आम जनता के मुद्दे जैसे अच्छी शिक्षा, बेहतर इलाज, भ्रष्टाचार, किसानो के मुद्दे और रोजगार पीछे छूटते चले गये है. पहले गुरदासपुर और अब चित्रकूट के चुनावी नतीजे भी इशारा कर रहे है.इस बीच में कई राज्यों की यूनिवर्सिटियों के चुनावों में युवा वर्ग ने भी इशारा कर दिया है.ठीक इसी तरह २००४ में श्री अटल बिहारी जी की सरकार में भी इंडिया शाइनिंग का नारा बड़े जोरो-शोरो से लगाया जा रहा था और सरकार के नीचे से जमीं खिसकती जा रही थी.
टीवी चैनलो के सर्वे में फंस कर भाजपा की सरकार को २००४ में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था.अगले १० साल तक फिर भाजपा सरकार वापस केंद्र में नहीं आ पायी थी.ठीक उसी तरह का शोर और नीतिया फिर से भाजपा सरकार लागू कर रही है.अगर सरकार के मंत्री और कर्ता-धर्ता टीवी चैनलों के सर्वे के आधार पर २०१९ का कयास लगा रहे है तो फिर ये मुँह की खाने वाले है.अथवा येन केन प्रकारेण जीत भी गये तो वो ज्यादा प्रभावी जीत नहीं होगी.
मोदी सरकार के असफल क्षेत्र :-
१. रोजगार:- रोजगार का मसला युवा वर्ग के लिए किसी भी अन्य मुद्दे से बड़ा है.बिना रोजगार किसी भी तरह के विकास का कोई महत्व नहीं है.श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इस मामले में काफी पिछड़ती नजर आ रही है.केंद्र सरकार की महत्वाकांछी योजना मेक इन इंडिया अभी तक ज्यादा सफल नहीं रही है. स्किल इंडिया के नाम पर काम चलाऊ स्किल ही डेवेलोप हुई है.
मुद्रा योजना ही कुछ हद तक सफल रही है.अब सरकार के मंत्री सड़क बना कर १-२ करोड़ रोजगार दिवस का जाल फैला रहे है.श्री अटल बिहारी वाली बीजेपी सरकार में भी ऐसे ही आकड़े दिए जा रहे थे.६ लाख करोड़ के सागरमाला प्रोजेक्ट से सिर्फ इतने ही दिन रोजगार दिया जा सकता है तो इससे बेहतरीन मनरेगा योजना थी जिससे केवल ४०००० करोड़ रुपए में ही कई करोड़ कार्य दिवस के साथ कई लाख मजदुर परिवारों को नौकरी मिली थी.
अभी भी कई सरकारी विभागों में कई लाख पद खाली पड़े है.केंद्र सरकार को जल्द से जल्द इन खाली पदों को भरना चाहिए तथा रोजगार के नए मार्ग तलाशने चाहिए.देश के कई राज्यों में अब भाजपा की सरकार है.केंद्र और भाजपा के राज्य सरकारों को मिल कर रोजगार के समुचित और भ्रष्टाचाररहित अवसर नवयुवको को प्रदान करने चाहिए.
२. शिक्षा :- शिक्षा क्षेत्र में भी कोई उल्लेखनीय उपलब्धि सरकार के खाते में नहीं है.यह हालत तब है जब स्वयं प्रधानमंत्री जी देश के विश्वविद्यालयो को विश्व की प्रथम १० में लाने की इच्छा कई सार्वजनिक मंचो पर व्यक्त कर चुके है.आज भारत के सभी विश्वविद्यालयो में शिक्षकों की भारी कमी है.
अभी तक हम अंग्रेजो की दी हुई शिक्षा व्यवस्था में कोई उल्लेखनीय बदलाव नहीं कर पाये है.इस शिक्षा व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य केवल अंग्रेजी राज को चलाने के लिए क्लर्क प्रशिक्षित करना है.बहुप्रतीक्षित नई शिक्षा नीति का भी कुछ पता नहीं चल पा रहा है.इस सरकार में एक शिक्षा मंत्री को बदला जा चूका है.लेकिन नतीजा अभी भी ढ़ाक के तीन पात ही है.
सरकार ने कई AIIMS और IIT की घोषणा तो की है लेकिन वो कब तक बनेंगे, कोई बताने को तैयार नहीं है.ठीक ऐसे ही अटल जी ने ६ नए AIIMS की घोषणा तो की लेकिन वो भी अब तक तैयार नहीं हो पाये है.१२वी तक की शिक्षा व्यवस्था पूर्णतया शिक्षा माफिया के हाथ में जा चुकी है.सरकारी स्कूल पढ़ने लायक नहीं रह गए है और निजी स्कूल आम आदमी के पहुँच से दूर होते जा रहे है.निजी स्कूलों पर सरकार कोई नियंत्रण नहीं कर पा रही है.ये मनमाफिक अपनी फीस बढ़ाते चले जा रहे है और इनको नियंत्रित करने का कोई कानून सरकार नहीं ला रही है.कई संगठनों ने इस मामले में सरकार का ध्यान आकर्षित किया है.लेकिन अब तक सरकार का रवैया बहुत निराशाजनक रहा है.
३.स्वास्थ्य :- यह क्षेत्र भी सरकार के लिए उपलब्धियों के मामले में निराश करने वाला ही रहा है.केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी बदले जा चुके है.सरकार ने जरूर कुछ दवावो के दाम घटाए है.दिल के आपरेशन में इस्तेमाल की जाने वाली स्टेम को भी सस्ता किया गया है लेकिन इसकी निगरानी का तंत्र बिलकुल असफल साबित हुवा है.पुरे देश शायद कुछ अस्पतालों ने ही अपने बिल को कम किया है.
देश की स्वास्थ्य व्यवस्था बिलकुल चरमरा चुकी है.इस क्षेत्र में भी माफ़ियावो का कब्ज़ा हो चूका है.आज तक पर दिखाए गए एक स्ट्रिंग ऑपरेशन में अस्पतालों में जाँच के नाम पर होने वाले पुरे खेल का खुलासा हुवा था.इसके कुछ दिन बाद ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को हटा कर जे पी नड्ढा जी को नया स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था.देश में बन रहे कई नए AIIMS का भी काम कब तक पूरा होगा, कोई बता नहीं रहा है.
४.भ्रष्टाचार :- भ्रष्टाचार के मसले पर सरकार ने कुछ कड़े कदम जरूर उठाये है लेकिन ये पर्याप्त नहीं है.सरकार नोटबंदी और कुछ सौ सरकारी बाबूवो को जबरन कार्यमुक्त करके अपनी पीठ जरूर थपथपा रही है लेकिन देश का कैंसर बन चुके संगठित भ्रष्टाचार पर बड़ी और सक्षम कार्यवाई का नितांत अभाव अभी तक दिखा है.
मोदी सरकार ने जिस SIT का गठन अपनी सरकार बनाने के पहले दिन ही किया था, उसकी रिपोर्ट अभी तक सार्वजानिक नहीं की गयी है.लोकपाल विधेयक इस सरकार में भी पड़े-पड़े धूल खा रहा है.जिस कांग्रेस सरकार के कथित १२ लाख करोड़ के घोटाले का राग भाजपा के सभी नेता समय-समय पर अलापते रहते है, उन सभी मामलों में अभी तक कोई बड़ी और प्रभावी कार्यवाई अभी तक नहीं हुई है.
उपरोक्त क्षेत्रो के अतिरिक्त अन्य क्षेत्र भी है जँहा मोदी सरकार सफल नहीं रही है.मैं उन सभी क्षेत्रो का वर्णन अपने अगले पोस्ट में करूँगा.अभी हाल के एक और सर्वे में फिर से मोदी सरकार को अत्यंत लोकप्रिय बताया गया है.मुझे तो लगता है कि मीडिया ने तो पूरी तरह “इंडिया शाइनिंग” को दोहराने की तैयारी कर रखी है.अब देखना यह है कि मोदी सरकार इन सर्वे को कैसे लेती है.और कैसी समझ विकसित करती है? उपरोक्त क्षेत्र आम जनता से सीधे जुड़े हुवे है.इन सभी क्षेत्रो में सरकार का ध्यान और अपेक्षित कार्यवाई की तुरंत जरुरत है.
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