अपना लेख
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आपसब के सामने प्रस्तुत है मेरे द्वारा लिखित एक देशभक्ति की कविता ….
” आज फिर लगा है मज़मा यहाँ,
हम भी मज़े में हैं,
और तुम भी मज़े में हो।
आज फिर से एक शोला गरमा दिल में यहाँ,
हम भी जोश में हैं,
और तुम भी जोश में हो।
आज फिर पनपा सब की जुबां पर राष्ट्र के लिए नगमा यहाँ,
हम भी गा रहे हैं,
और तुम भी गा रहे हो।
आज फिर देश के लिए कुछ करने का जज्बा जन्मा यहाँ,
हम भी उफान में हैं,
और तुम भी उफान में हो।
केवल आज के लिए ये सब है,
तो ये एक मस्ती है।
और जो ठहर जाये हमेशा के लिए दोस्तों,
तो सही मायने में देशभक्ति है। “
— राघवेन्द्र सिंह
जय हिन्द !!
जय भारत !!
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