Menu
blogid : 4642 postid : 87

असमंजस की स्थिति में उत्तर प्रदेश भाजपा

anurag
anurag
  • 70 Posts
  • 60 Comments


अभी पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2014 की तैयारियों के लेकर भाजपा कोर कमेटी की बैठक बुलाई गयी। इस बैठक में शामिल ज्यादतर नेताओ की दिलचस्पी लोकसभा चुनाव की तैयरियो से ज्यादा अपनी-अपनी संसदीय चुनाव क्षेत्र को बदलने में दिखी। हर नेता इस जुगाड़ में दिखा कि किस तरह शीर्ष नेत्र्तव को अपनी मनचाही लोकसभा सीट के लिए मनाया जाया। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर वो क्या कारण कि नेता अपने अपने चुनाव क्षेत्र को बदलने के लिए आतुर दिख रहें है ? इसका जवाब भी पार्टी के कुछ नेता दबे मुह देते है। इन नेताओ का कहना है इस स्थिति के लिए शीर्ष नेतृत्व जिम्मेदार है। नेत्रत्व ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए सभी प्रदेश इकाईयों को तो निर्देश जारी कर दिया है पर खुद उसने लोकसभा चुनावो के तमाम मुद्दों के सम्बन्ध में तस्वीर साफ़ नहीं की जिससे राज्य के नेताओ में असमंजस की स्थिति है। इन्ही कारणों से व राज्य भाजपा इकाई की आपसी गुटबाजी तथा आन्तरिक कमजोरियों की वजह से प्रदेश भाजपा भ्रष्टचार, महंगाई, सांप्रदायिक दंगे आदि पर प्रदेश की जनता को साथ लेकर कोई सार्थक आन्दोलन नहीं कर पा रही है तथा राज्य की सपा सरकार के विरुद्ध, मुख्य विपक्षी राष्ट्रीय पार्टी होते हुए भी अपने को जनता के बीच में मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में स्थापित नहीं कर पा रही है । ऐसी स्थिति में राज्य का भाजपा नेतृत्व ये नहीं समझ पा रहा है कि हम किन मुद्दों के साथ जनता के बीच जाएँ।
इसके अतरिक्त दो बातें और है जो ऐसी स्थिति के लिए कारक बनती जा रही है। पहली ये कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को लेकर पार्टी का रुख का साफ़ न होना और दूसरा ये कि राज्य में लगातार पार्टी का खिसकता जनाधार । ये वो दो बातें जिनके चलते राज्य-भाजपा में हल-चल की स्थिति बनी हुई है। चूँकि अभी तक के लोकसभा चुनाव में उतरने वाले नेताओ को ये विश्वश था कि वो पार्टी के जनाधार के बल पर लोकसभा चुनाव की नैय्या को पार लगा लेंगे इसलिए कोई भी नेता बहुत ज्यादा अपनी लोकसभा सीट बदलने के लिए लालयित नहीं दिखता था। पर इस बार के चुनावो को लेकर तस्वीर बदली हुई है। अब कोई भी नेता आश्वस्त नहीं है कि वो पार्टी के जनाधार के दम पर अपनी सीट निकाल लेगा इसीलिए हर नेता अपने लिए सुरक्षित सीट तलाश रहा है। चूँकि अभी तक पार्टी ने इस बात को स्पष्ट नहीं किया है कि नरेद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के दावेदार होंगे या नहीं। हर नेता उन लोकसभा सीटो के प्रति ज्यादा लालायित है जो हिन्दू बहुल है। सभी जानते है कि यदि मोदी पीएम पद के दावेदार हुए तो मुस्लिम बहुल क्षेत्रो से सीट निकाल पाना मुस्किल होगा। यही कारण की लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर होने वाली बैठके पार्टी नेताओ की निजी बैठके बन जाती है। इन नेताओ का कहना है की यदि जल्दी ही शीर्ष नेत्र्तव ने लोकसभा चुनाव को लेकर अपने रुख को साफ़ नहीं किया तो स्थिति और गंभीर हो जाएगी और चुनावी तैयारियों को लेकर होने वाली प्रत्येक बैठक निजी स्वार्थो के पूर्ति के लिए होने वाली बैठके मात्र रह जाएगी। परिणाम स्वरुप 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को एक बार फिर सत्ता से हाथ धोना पड़ेगा।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा पार्टी का आगमी संभावित प्रधानमंत्री पद के संदर्भ में अपने पत्ते न खोलना, हो सकता हो उनकी किसी सोची समझी रणनीत का हिस्सा हो किन्तु ये रहस्यमयी स्थिति राज्य भाजपा नेताओ की बेचैनी का कारण बनी हुई है और ये बेचैनी ही भाजपा के विजन लोकसभा चुनाव 2014 के लिए घातक साबित हो सकती हैं।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh