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चार क्या साक्षी महाराज हम तो 6 बच्चे पैदा कर दें पर ये तो बताओ कि उन्हें क्या खिलाएंगे. महंगाई का हाल ये है कि टमाटर भी 40 रूपये किलो मिल रहा है. एक बच्चे को पालने के लिए आम आदमी को नाको चने चबाने पड़ रहे हैं और आप चार बच्चों को पैदा करने की बात कर रहे है. आपने अपने बयान में कहा कि देश को एक धर्म विशेष से बड़ा खतरा है इसलिए हिन्दुओं को 4 बच्चें पैदा करना चाहिए.
साक्षी महाराज अगर आपको यह जानकारी है कि देश को एक धर्म विशेष से खतरा है तो आपको यह भी जानकारी होगी कि उस धर्म विशेष में निचले स्तर पर बच्चों की स्थिति क्या है. आपकी नजरों में जनसंख्या बढ़ाने पर आतुर इस धर्म विशेष में निचले स्तर पर बच्चे बचपन की न्यूनतम आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर पा रहे है इतना तो आपको ज्ञात ही होगा.
जिस बचपन के चेहरों पर मुस्कान और हाथो में किताब होनी चाहिए वो बचपन चेहरे पर मायूसी लिए अपने हाथो से जिन्दगी जीने के लिए लड़ाई लड़ता है क्यों! क्योकि उनके माता-पिता ने भी आप ही की तरह ज्ञान बांटने वाले किसी धर्म गुरु के बहकावे में आकर उन्हें पैदा तो कर दिया पर अब उन्हें खिलने के लिए न तो उनकी जेब में पैसे है और न ही घर में दाने.
क्या यही हाल आप हिन्दू धर्म के बच्चों का भी चाहतें है ? क्या आप चाहते है कि हिन्दू धर्म के बच्चे भी चेहरे पर मायूसी लिए अपने हाथो से जिन्दगी जीने के लिए लड़ाई लड़ते दिखें ?
वैसे हालात यहाँ भी कोई बेहतर नहीं है. आप के हिन्दुओं में ही कई वर्ग जैसे दलित, कुम्हार, चमार, पासी इन के बच्चें भी होश सँभालते ही काम पर लगा दिए जाते है क्योकि इनके परिवार भी जीवन जीने की न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाते.
साक्षी महाराज ‘हाथी को पालना मर्दानगी नहीं कहा जाता, हाथी को खिलाना मर्दानगी कहा जाता है’ ठीक इसी तरह बच्चे पैदा कर देना कोई बड़ी बात नहीं है, बड़ी बात है उनका बेहतर लालन-पालन ताकि वो इस समाज के लिए एक सभ्य नागरिक बन सकें.
क्या इस तरफ भी आप कुछ मार्गदर्शन करेंगे कि कैसे इस देश में रह रहा आम नागरिक (सभी धर्मों को मिलाकर) अपने बच्चे को बेहतर जिन्दगी दे सकें ? या फिर सिर्फ बच्चें पैदा करने की ही नसीहत देते रहेंगे.
महंगाई से लेकर काले धन के मुद्दे को लेकर केंद्र में आई आपकी मोदी सरकार ने योजनाये और घोषणायें तो बहुत की, पर जमीनी स्तर आज भी परिस्थितियां वही है जो पूर्व की मनमोहन सरकार में थी. जीवन जीने के न्यूनतम पदार्थ जैसे सब्जी, दाल लगातार आम आदमी की प्लेट से गायब होते जा रहे है. प्रति व्यक्ति बचत का दायरा भी काफी गिरा है. बेहतर होगा कि आप बच्चें पैदा करने की सलाह देने के बजाय इन मौजूं सवालों पर गौर फरमाए. सत्ता में आसीन अपनी मोदी सरकार पर कारगर कदम उठाने का दबाव डाले डालें.
और यकीन मानिये महाराज जी जिस दिन इस देश के आम आदमी की आर्थिक स्थिति सुधर जाएगी बच्चे खुद बा खुद पैदा होने लगेंगे क्योकि बच्चे तो सभी पैदा करना चाहते है पर महंगाई के इस दौर आम आदमी उन्हें खिलाने और पिलाने के नाम से ही काँप जाता है. लिहाजा वो चार की जगह पर एक से ही संतुष्ट हो जाता है.
अब अगर आपको हिन्दुओं से चार बच्चे चाहिए तो जो मौजूं सवाल मैंने उठाये है उनका समाधान भी आपको व आपकी सरकार को करना होगा.
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