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राजनीति के अपराधीकरण की देन है मंत्री द्वारा सीएमओ गोंडा की पिटाई

anurag
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सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव सहित पूरी समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव २०१४ में उत्तर प्रदेश की ५० से ज्यादा सीट जीतकर केन्द्रिय राजनीत का केंद्रबिंदु बनने का खवाब देख रही है जबकि प्रदेश की बिगडती हुई कानून व्यवस्था व राज्य सरकार की ढुल  मुल कार्यप्रणाली इस ख्वाब को तोड़ने में लगी हुई है। अभी तक सिर्फ अपराधियों द्वारा ही कानून व्यवस्था को चुनौती दी जाती थी पर अब राज्य सरकार के मंत्री भी खुले आम दबंगई पर उतर आये है। कल राज्य सरकार के राजस्व राज्य मंत्री विनोद कुमार सिंह उर्फ़ पंडित सिंह पर गोंडा के मुख्य चितिषा अधिकारी को अगवा कर पिटाई का आरोप लगा। आरोप है कि मनमाफिक काम न करने पर मंत्री ने अपने गुर्गो के द्वारा गोंडा के मुख्य चिकित्षा अधिकारी को अगवा करा लिया और उन्हें जमकर मारा पीटा। पंडित सिंह की पिटाई से डरे मुख्य चिकित्षा अधिकारी अपना कार्यालय छोड कर लखनऊ भाग आये थे इतना ही नहीं गोंडा जिले के डीएम भी छुट्टी पर चले गए थे। हलाकि इस घटना पर राज्य सरकार ने जांच हेतु एक कमेटी बैठा दी है और इसके साथ ही राज्यमंत्री विनोद कुमार पंडित सिंह ने राज्यमंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया है पर घटना के ७२ घंटे बीत जाने के बाद भी मंत्री के विरुद्ध कोई भी वैधानिक कार्यवाही न होना यह स्पष्ट करता है कि जांच के लिए बनायीं गयी कमेटी और मंत्री का इस्तीफा मात्र मीडिया के उठ रहे सवालो को शांत करने  के लिए की गयी खानापूर्ति है।pandit

जहाँ तक बात मंत्री जी की है तो यह सर्व विदित है कि वो एक दबंग नेता है। ये माना जाता रहा है कि वो सपा प्रमुख मुलायम सिंह के बहुत करीबी है। ऐसे में पूर्वर्ती माया सरकार में हर आरोपी मंत्री की बर्खास्तगी और जांच की मांग करने वाली समाजवादी पार्टी जांच कमेटी की रिपोर्ट आने पर तथा उस रिपोर्ट में मंत्री जी के दोषी  होने पर उनके विरोध कार्यवाही करेगी या नहीं यह देखने योग्य होगा। पर इतना तय है कि जो व्यवस्था वर्तमान दौर में उत्तर प्रदेश में चल रही है उसका खामियाजा समाजवादी पार्टी  को २०१४ के लोकसभाचुनाव में भुगतना पड़ेगा। लगता ये है की युवा मुख्यमंत्री की सरकार की जो हनक प्रशासनिक अधिकारियो व मंत्रियो पर होनी चाहिए वो हनक ये सरकार नहीं बना पायी है। ऐसा लगता है कि सब सरकार को इतनी अपनी सरकार मान बैठे हैं कि खुद को कानून एवं संविधान से ऊपर मान बैठे हैं। क्या होगा सरकार तो अपनी हैं।
हलाकि यह भी सत्य है कि मंत्रियो द्वारा कानून व्यवस्था को हाथ में लेना कोई नहीं बात नहीं है। इससे पहले भी कई सरकारों में ऐसे घटनाये हुई है। कारण ये है कि आज ज्यादातर मंत्री भी वही बन रहा है जो अपराध की दुनिया से आया है. आज की राजनीत में शरीफ और इमानदारो  का चेहरा न के बराबर है। चुनावो में हर दल की पसंद वो चाहे भाजपा हो सपा हो, बसपा हो या फिर कांग्रेस जिताऊ उम्मीदवार होता है और यहीं से राजनीति के अपराधीकरण की शुरवात होती है। चुनाव के समय राजनैतिक पार्टियां प्रतिबद्ध कार्यकर्त्ता के  बजाय साम दाम दण्ड भेद में माहिर दबंग धनाढ्य उम्मीदवार की तलाश करती हैं जो येन केन  प्रकारेण चुनाव जीत सके ताकि पार्टी चुनाव के बाद सरकार बना सके। राजनैतिक दलों की इस सोच ने राजनीत का पूरा परिदृश्य ही बदल दिया और राजनीत में धन बल और बाहुबल का बोल बाला हो गया।झोले में पार्टी साहित्य कंधे पर टाँगे  साधारण कपड़ो में चप्पल पहने पार्टी कार्यक्रमों में दरी चादर बिछाने वाले कार्यकर्त्ता समाप्त हो गए और हमारे राजनेता हाईटेक वीपन से लैस हाईटेक लाइफ जीने वाले आम आदमी से अलग दबंग छवि के लोग हो गए जिन्हें पद और पैसा के लिए कुछ भी करने में संकोच नहीं है। ये अपने स्वार्थ के लिए हर तरह का अपराध कर सकते हैं इसीलिए जब कोई अधिकारी इनके दबाव में नहीं आता है तो वो गोंडा के मुख्य चिक्तिषा अधिकारी की तरह या तो मारा जाता है या फिर महत्वहीन पद पर भेज दिया जाता है। आज की राजनीत पर मशहूर शायर और कवि अदम गोंडवी ने लिखा था कि “राइफल की छांव में, मुस्कान होठो पर लिए, श्वेत खादी में अहिंसा के पुजारी आ गये”

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