Menu
blogid : 4642 postid : 22

साम्प्रदायिकता की चासनी में सत्ता की राह ढूढती कांग्रेस

anurag
anurag
  • 70 Posts
  • 60 Comments

पिछले दिनों देश के कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने फरुखाबाद की एक चुनावी जनसभा में कहा की वो और उनकी कांग्रेस पार्टी मुस्लिमो को उनका हक दिला कर रहेगी इसके लिए चाहे चुनाव आयोग उन्हें फंसी ही क्यों न दे दे, खुर्शीद ने इस तरह का बयां देकर चुनाव आयोग को ही चुनौती दे डाली की चाहे कुछ भी कर लो हम चुनाव तक धर्म आधरित आरक्षण का मुद्दा नहीं छोड़ेंगे जिसके जवाब में आयोग ने खुर्शीद की शिकायत राष्ट्रपति से की. अपने लिखे शिकायती पत्र में मुख्य निर्वाचन आयुक वाई. एस कुरैशी ने लिखा है की कानून मंत्री  संवैधानिक जिम्मेदारियों का मजाक बना रहे है अतः आप तत्काल इस मामले हस्तक्षेप करे. ऐसा माना जा रहा है कि राष्ट्रपति आयोग की शिकायत को उसी केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास जिसके सलमान खुर्शीद एक सम्मानित सदस्य है, विचार के लिए भेज सकती है.

अब प्रश्न यह है कि क्या चुनाव आयोग इतना कमजोर पड़ गया है कि अब उसे चुनाव को निष्पक्ष बनाने के लिए राष्ट्रपति के यहाँ गुजारिश करनी पड़े? जबकि अगर संविधान द्वारा चुनाव आयोग को प्रदत्त शक्तियों को देखा जाये तो आयोग स्वयं में सक्षम है इस तरह के मामलो से निपटने के लिए लेकिन फिर भी इस मामले में आयोग असहाय दिख रहा है जिसका कारण है आयोग इस बात को  बखूबी समझ रहा है कि अगर इस मामले में उसने जरा सी भी जल्दी दिखाई तो परिणाम उल्टे हो सकते है और चुनावो को निष्पक्ष बनाने की उसकी मुहीम को झटका लग सकता है क्योकि अगर आयोग ने सख्ती दिखाते हुए उत्तर प्रदेश में सलमान खुर्शीद के दौरों पर रोक लगाई तो हो सकता है कि इसका असर उल्टा पड़ जाये और मुस्लिम समाज यह समझ बैठे कि उनके हितो कि बात करने वालो के खिलाफ आयोग राजनैतिक कारणों से कार्यवाही कर रहा है जिसके परिणाम स्वरुप एक तरफ़ा मुस्लिम वोट कांग्रेस के खाते में चले जाये और प्रदेश में कांग्रेस कि सरकार बन जाये तब भी तो विपक्ष यही कहेगा कि कांग्रेस की सरकार बनवाने में आयोग ने अप्रत्यक्ष तौर पर उसका साथ दिया. वास्तव में कांग्रेस और केंद्रीय कानून मंत्री चुनाव आयोग की इसी मज़बूरी का फायदा उठा रहे है कांग्रेस इस बात को अच्छी तरह से जानती है की अगर आयोग सलमान के प्रदेश दौरों पर रोक लगयेगा तो उसका भी अप्रत्यक्ष तौर पर लाभ कांग्रेस को ही मिलेगा और अगर नहीं लगयेगा तो भी मुस्लिमो के हितो की बात करके लाभ मिलेगा.

उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनावो में किसी भी दल को सत्ता तक पहुचने में मुस्लिमो की अहम भूमिका होगी ये तो जग जाहिर है लेकिन कांग्रेस ने प्रदेश की सत्ता में काबिज़ होने के लिए जिस राजनीत की परिचय दिया वो वास्तव में लोकतान्त्रिक व्यवस्था में एक स्वछ राजनीत का परिचायक नहीं है. एक ऐसी पार्टी जिसका अपना एक इतिहास हो जो मौजूदा दौर में केंद्र की सरकार में हो उसके नेता द्वारा किया जा रहा यह कृत्य निश्चित तौर पर निन्दंनिये है और ये और भी निन्दनिये तब हो जाता है जब वो नेता कोई और नहीं  बल्कि इस देश का कानून मंत्री हो जिसके ऊपर इस न सिर्फ कानून बनाने की जिम्मेदारी है अपितु उसके क्रियान्वयन की भी जिम्मेदारी है. पर सलमान खुर्शीद को इससे क्या मतलब वो मंत्री बाद में है कांग्रेस के चाटुकार पहले है.  वास्तव में कांग्रेस की ये ओछी राजनीत पिछले ४० सालो से उत्तर प्रदेश की सत्ता में न आ पाने के उसके दर्द को उभारती है और इस दर्द की टीस जब कांग्रेस को महसूस होती है तो वो साम्प्रदायिकता के रूप में कांग्रेसी नेताओ के जुबान से निकलती है क्योकि उन्हें  लग रहा है की अगर प्रदेश की राजनीत में समप्रदयिकता की चासनी को घोल दिया जाये तो उसकी मिठास के तौर प्रदेश की सत्ता मिल सकती है. वैसे देखा जाये तो प्रदेश की राजनीत में समप्रदयिकता की चासनी को घोलना कोई  नई बात नहीं है. सन ९२ के बाबरी विध्वंश के बाद भाजपा ने भी सम्प्रदिय्कता की चासनी को घोला था और उस चासनी की मिठास के दम पर प्रदेश से लेकर केंद्र तक राज किया था लेकिन आज भाजपा की स्थिति क्या है ये जग जाहिर है ठीक यही हाल कुछ सालो बाद कांग्रेस का होगा क्योकि आज भले मुस्लिम उन्हें  आरक्षण के नाम पर, बटला हाउस कांड के नाम पर वोट दे दे लेकिन कुछ सालो बाद यही मुस्लिम वर्ग सबसे ज्यादा नफरत कांग्रेस से करेगा. इतिहास इस बात का साक्षी है की हिंदुस्तान की आज़ादी के इन ६४ सालो में कांग्रेस ने मुस्लिमो को सिर्फ ठगने का काम किया है और एक बार फिर उत्तर प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस मुस्लिमो को ठगने की तैयारी कर रही है लेकिन कितनी बार.SAMPRADYIKTAधार्मिक आरक्षण से लेकर अन्य तरह का ख़ुमार जनता के दिल से जब उतरता है तो जनता सबसे ज्यादा नफरत उसी दल से करती है जिसके कहने वो सांप्रदायिक होती है जिसका उदहारण भाजपा  के रूप में हम सबके सामने है भाजपा आज भी राम मंदिर के नाम पर सत्ता में आने की चाहत रखती है लेकिन जनता उसे एक सिरे से नकार रही है क्योकि जनता जानती है की ये मात्र एक छलावा है जिसका वास्तविकता से कोई मतलब नहीं है. इसी तरह आने वाले दिनों कांग्रेस की भी स्तिथि हो जाएगी यदि समय रहते कांग्रेस ने इस ओछी राजनीत को बंद न किया तो क्योकि साम्प्रदायिकता की जो मिठास होती वो क्षण मात्र के लिए ही होती है उसके बाद इस चासनी जो कड़वाहट निकलती है वो दशको तक जनता के दिलो में बैठी होती है.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh