Menu
blogid : 23144 postid : 1114135

खुश्बू लाख छिपाएं वो महकती जरूर है!

Ghazel Ke Bahane, Desh Ke Tarane
Ghazel Ke Bahane, Desh Ke Tarane
  • 24 Posts
  • 6 Comments

खुश्बू लाख छिपाएं वो महकती जरूर है;
जब बन गयी कली तो खिलती जरूर है.
बागों के बहारों में कहीं बैठी हो बुलबुल;
कितनी भी मुशिकलें हो चहकती जरूर है.
बज रहे कहीं पर अच्छी धुनों के साज;
नर्तकी तब दिल में मचलती जरूर है.
आ गयी घटायें घिरके अगर वे काली;
उसमें कहीं तो बिजली चमकती जरूर है.
बा वफ़ा से बेवफा जब बन गयी यारा ;
पहलू से वो मधुकर के फिसलती जरूर है.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh