Ghazel Ke Bahane, Desh Ke Tarane
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शैर:- गजबदन गणपति गौरिसुत,देवो में सवसे न्यारे है|
गजानन गणेश लम्बोदर,भक्ति के दिल के प्यारे है||
गिरिराज पे राजत शंभु गोंद,जननी के परम दुलारे |
गुरु मातु पिता अज्ञाकारी,पूजा के आगरा सितारे है,
गजल:- गणपति वक्र-तुण्ड गजानन, सारी दुनियां में छाये हुए है, |
विद्या वारिधि बुद्धि विधाता,अपने भक्तो को भाये हुए है ||
एक दन्त लम्बोदर विनायक,तेरी महिमा अजब है निराली |
रिद्धि-सिद्धि के दाता हो भगवान, विध्नहर्ता कहाय हुए है |
आप कहलाते करुणा के सागर,भर देते है भक्तो के सागर ||
बस इसी आसरा से यहाँ पर,हम भी झोली फैलाये हुए है |
अम्बे नन्दन हेरम्ब गजानन,द्धार पर जो तुम्हारे है आया ||
करते पूरी मुरादे सभी की,आसरा सब लगाए हुए है |
एक दन्त महाकाय राजे,शरण आये है मिसिरा तिवारी |
चाहते है चरण धूल “मधुकर” अपना मस्तक झुकाये हुए है ||
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