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-:गणेश वन्दना:-

Ghazel Ke Bahane, Desh Ke Tarane
Ghazel Ke Bahane, Desh Ke Tarane
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आज का दिन है पावन सलोना मोर सा मन मगन झूमता है |
दिगदिगन्तों में उसकी ख़ुशी में, ए धरा क्या गगन झूमता है ||
वक्रतुंड महाकाय राजे, गणपति गोंद गौर विराजे |
उनकी मनहर मनोहर मूरतिया देख दिन का चमन झूमता है |
भीर भक्तों की पल में निहाते, विघ्नहर मंगलकारी कहते |
आज भक्तों के मानस पटल पे, गजबदन का नयन झूमता है ||
ऋद्धि-सिद्धि के प्राण पियारे, शंभू शंकर शिव के दुलारे |
स्नेह श्रद्धा में सादर समर्पित, सबके हिय का सुमन झूमता है ||
एक दन्त दयावन्त न्यारा, लम्बोदर रूप मिसिरा को प्यारा |
पीट पट सोहत क्या सुहावन, “मधुकर” मन रतन झूमता है ||

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