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फगुआ लोक गीत

Ghazel Ke Bahane, Desh Ke Tarane
Ghazel Ke Bahane, Desh Ke Tarane
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लोगवा गइलैं बऊराई, फागुन में ||
पीली पीलिए सरसो से खेत पियराइल ,
गेहुआँ क बलिया भी झूमि लहरायल |
तिसिया गइले गदराई, फागुन में | लोगवा…….. ||
फुलवान प झुमिके भँवरा मरणाए,
टेसू गुलाब बहुत मन भाए |
अमवॉ सजल आमरायफागुन में | लोगवा …………||
चिरई जनाराव के मनवा उमगलै ,
बोल लता झुरमुट गरवा मिलउले |
किलकय कोयल रस पाई, फागुन में ||लोगवा ……..||
मदमाती घुमै ली बन ठन गुजरिया ,
बुड़वा जवनका के मोरै नजरिया |
केहु भला केतना लजाई, फागुन में ||लोगवा……… ||
फ़ाग कबीरा गामा झूमि के गावै ,
विकर्मा विनोद शरन खुशिया मनावै |
“मधुकर” दिया हुलसाही, फागुन में || लोगवा …….||

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