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-:मइया शेरावाली:-

Ghazel Ke Bahane, Desh Ke Tarane
Ghazel Ke Bahane, Desh Ke Tarane
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नज्म:- भक्तो की भीर हारती, है माता शेरावाली |
आया जो द्धार तेरे, गया नहीं है खली ||
दुनिया में मातु अम्बे, की शान है निराली |
“मधुकर” की रक्षा करती, बन करके चंडी काली ||
गजल:- दर से तेरे गया शेरावाली, भक्त कोई भी खाली नहीं है |
भर दी सबके मुरादों की झोली, बाकि कोई सवाली नहीं है ||
में तो आया हु तुमको चराने, दिल के तारो की चुनरी बनाके |
मेरे अरमाँ के दीपक जलेंगे, संग में पूजा की थाली नहीं है ||
मेरी मइया बड़ी है दयालु, उनके रहमत से नूर बरसते |
पी लिया है मोहब्बत की हाल, अरगवां की ए प्यासी नहीं है ||
आ गया दर पे है आज काफिर, दीछ का जो तलबगार तेरे |
सच कहूँ माँ मेरे गुलचमन का, दूसरा कोई माली नहीं है ||
चश्मदीद नहीं गर हुई तो, दर से वापस नहीं जाऊंगा में |
बिन तेरे लगता “मधुकर” को ऐसे, गुल गुलिश्ता में डाली नहीं है ||

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