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टूटती उम्मीदें

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“बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ ” का ढोल पीटा जाता है.लेकिन क्या बेटियां सुरक्षित हैं? क्या उसके साथ न्याय हो रहा है? क्या उसे सम्मान मिल रहा है? घर हो या बाहर हर जगह उसका शोषण ही हो रहा है. कोई उम्र की भी सिमा नहीं. दो दिन की आयु से अस्सी वर्ष तक की नारियां बलात्कार की शिकार होती रहती हैं. हम प्रगतिशील देश के निवासी हैं, देश विकासोन्मुख है लेकिन क्या महिलाएं महफूज हैं? टी वी हो या अख़बार के पन्ने, हर खबर पर महिलाओं के बलात्कार की सूचनाओं से दिल दहल जाता है.
हम इक्कीसवीं शताब्दी में जी रहे हैं , उन्नति कर रहे हैं , यह उम्मीद टूट सी जाती है जब नारी के साथ इस उन्नतिशील देश के कुछ लोग अपमानजनक कृत्य करते हैं और देश के महान राजनीतिज्ञों में से कुछ राजनीतिज्ञ ऐसे बयान देते हैं कि – लड़कों से गलती हो जाये तो उसे फांसी दे देंगे क्या?, विधायकों के ऊपर बलात्कार का आरोप लगता है और सत्ता तुरंत कारबाई नहीं करती है!,और आश्चर्य की बात है कि बलिया के विधायक सुरेंद्र सिंह जी कहते हैं की -“३ बच्चों की माँ से क्या कोई बलात्कार करेगा?” या तो यह विधायक समाचारों से पूर्णतः अनिभिज्ञ रहता है, या किसी के समर्थन में कुछ भी बोलने की आदत से मजबूर है ! उन्हें क्या यह पता नहीं होगा कि – हाल ही में उत्तरप्रदेश में ही 100 वर्ष की महिला के साथ बलात्कार हुआ था , चिकाकमनहल्ली (थे हिन्दू का समाचार) में फरबरी 2016 में तथा मोहाली में फरबरी २०१८ में पुलिस ने ५० साल की महिला के साथ बलात्कार किया था. उन्हें यह भी पता नहीं होगा ! की मार्च २०१८ में एक दोषी को इसलिए जेल भेजा गया कि उसने ३ माह की बच्ची से बलात्कार किया था. सुरेंद्र सिंह जी जरा समाचार का ज्ञान तो रखा कीजिये, बलात्कारी ऐसा बहशी होता है जिसे उम्र नहीं दीखता है.
अजीब बात तो यह है एक आंकड़ा के मुताबिक ९५ % पीड़िता बलात्कारियों को जानता रहता है , और गजब यह है कि अपराधियों को सजा इसलिए दिया जाता है कि वह पुनः अपराध न करे लेकिन आंकड़ा कहता है कि बलात्कार की अपराध करने वालों में ५०% बलात्कारी ऐसे हैं जो दुबारा यह अपराध करते हैं. तो क्या बलात्कार की सजा बहुत कम है? सजा मिलने के बाद भी अपराध दोहराने की हिमाकत करने के पीछे भय न होना एक कारण तो नहीं. भय न होने के पीछे साधारण सजा का होना कारण तो नहीं?
ये कैसी मज़बूरी है सरकार की? विधायक है इसलिए दुष्कर्मियों के दोष को नज़र अंदाज़ करना ,मात्र पद पर बने रहने के लिए दुष्कर्मियों का बचाव करना न्यायोचित है क्या ? क्या इसी दिन के लिए जानता अपना बहुमूल्य वोट देकर नेता का चयन करता है ?
उत्तरप्रदेश में कानून व्यवस्था लचर होती जा रही है . महिलाओं के साथ होनेवाली घटनाओं में वृद्धि हो रही है. हर दिन खबर आती रहती है, हैडलाइन होता है ” नाबालिक के साथ बलात्कार “, “बाप को बंधक बनाकर बेटी के साथ दुष्कर्म ” , “बलात्कार के बाद निर्मम हत्या ” चलती बस में बलात्कार, शिक्षक द्वारा बलात्कार, बलात्कारी बाबा, पुजारी ने किया बलात्कार, झाड़ फ़ूंक के नाम पर बलात्कार, डाक्टर ने किया बलत्कार, ….. इत्यादि विभिन्न हेडलाइंस से समाचार पत्र भरा रहता है और इन्ही टैग लाइन से टी भी के समाचार भी भरे पड़े रहते हैं. तब भी विधायक जो की विधान बनाने वाला होता है , वे पूछते हैं कि क्या कोई ३ बच्चों की माँ से बलात्कार करेगा , वाह विधायक ! पद की गरिमा यह है?!!
रक्षक भक्षक बने हैं . जानता के लिए कर्म करने वाले लोग है ये जो जानता द्वारा चुने जाते हैं ! प्रशासन मूक दर्शक बनी है, जातीय समीकरण देखा जा रहा है ऐसा समाचार आता है. बाहुबली हैं यह महत्वपूर्ण हैं. कानून केवल कमजोर पर लागू होता है? यह सुशासन है?
कोई यह भी कह दे तो आश्चर्य नहीं की – ७० साल तक आप ने सहा है तो आज यह प्रश्न क्यों करते हैं? रामराज्य आ गया ! अच्छे दिन के यह लक्षण ? बेटी से बलत्कार , पिता की हत्या, परिवार बर्बाद.
शोषित होती देश की बेटियां ,
बलात्कारित होती बेटियां ,
तीन तलाक की सजा भुगतती बेटियां ,
छेड़खानी से आजिज पढ़ाई छोड़ती बेटियां,
छेड़खानी , शोषण से प्रताड़ित आत्महत्या करती बेटियां,
दहेज़ के कारण जलाई जाती बेटियां,
कोठों पर बैठायी जाती बेटियां,
बाजार में बेचीं जाती बेटियाँ,
भ्रूण में मारी जाती बेटियां
एसिड से चेहरे बदसूरत होती बेटियां ,
और
नारा हमारा – बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ !
बलात्कार करता नेता
प्रश्न करता नेता – तीन बच्चों की माँ से कोई बलात्कार करेगा?
अब नेताजी बताएं – बलात्कार किनसे होगा?(विधान क्या कहता है?)
नेता कहता – गलती हो गयी तो फांसी दोगे?
सामाजिक ठेकेदार कहता- छोटे कपडे हैं बलत्कार के कारण !
फिर क्यों बलात्कृत होती १०० साल की बेटियां?
क्यों बलात्कृत होती ३ महीने की बेटियां?
बलात्कार करता नाबालिग
कानून कहता – सजा कम होगा .
बलात्कारित बेटियां
न्याय पाने को वर्षों तक
तरसती हैं बेटियां ,
सजा इतनी की -पुनः बलत्कार करने से नहीं डरते बलात्कारी
और फिर बलात्कार पीड़ित होती रहती बेटियां .
निर्भया कांड से जगे समाज को देख लगा था की यह अन्याय अब नहीं होगा . लेकिन ऐसा नहीं हुआ और हर रोज महिलाएं बलत्कार की शिकार होती रहीं और समाज ,देश, दो से चार दिन की चर्चा में इसे समेट कर फिर भुला देते हैं.हर दिन नयी लड़की शोषित होती रहती है. यह सिलसिला कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है. बड़े-बड़े दावे होते हैं की अपराधी को दंड मिलेगा , ये होगा वो होगा लेकि नतीजा ढाक के तीन पात !
कब तक निरपराध बेटियां सजा भुगतेगी ? संवेदनहीनता यहाँ तक की पुलिस FIR नहीं करेगी, कर लिया तो कारबाई में देर करेगी, कारबाई हुआ तो न्यायलय में वर्षों तक तारीख मिलती रहेगी, फिर सजा इतनी कम की सजा भुगत कर बाहर आकर अपराधी पुनः वही अपराध करने से नहीं डरेगा. अब बेटियाँ करे तो क्या करे? ऐसे ही तिल-तिल कर मरती रहे? जिस देश में कुमारी पूजन होता हो, देवी दुर्गा ,लक्ष्मी,सरस्वती,सीता, आदि का पूजन होता हो उसी देश में बांकी जीवित महिलाओं के साथ अनवरत , हरदिन , हर घंटे बलात्कार होता है.?
यत्र पूज्यन्ते नार्यस्तु , तत्र रमन्ते देवता ! शायद यह सच होगा , अतः भारत में देवता केवल मंदिरों में पत्थर हुए पड़े हैं? क्योंकी यहाँ तो नारियां बलात्कृत होती है फिर देवता कैसे आएंगे?

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