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सर्वोत्कृष्ट रचना है माँ

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ईश्वर की अनुपम रचना होती है माँ, सभी की माँ सर्वोत्कृष्ट होती है। माँ है तो संसार है क्योंकि माँ ही इस धरा पर लायी है, माँ ही अपने बच्चों की भाग्यविधाता होती है।  हर बच्चे की प्रथम शिक्षिका होती है, माँ परमात्मा द्वारा प्रेषित उपहार है। हर स्थान पर स्वयं उपस्थित नहीं हो सकते इसलिए माँ को भेजा हर घर में, माँ अपने इस कर्तव्य का निर्वहण करती आ रही है युग युगांतर से चाहे माँ सुनयना हो,कौशल्या हो या जानकी या शक्तिस्वरूपा दुर्गा, काली या अन्य मानवी। सर्वदा से शक्तिस्वरूपा,लक्ष्मीस्वरूपा ,विद्यादायिनी /अन्नदायिनी अन्नपूर्णा आदि विविध रूप में अवतरित हुई है। विपरीत परिस्थिति में ढाल बनकर अपनी संतान की रक्षा करती है। सभी रिश्तों से अवगत माँ ही करवाती है मातृ शब्द में ही सूक्ष्म से सूक्ष्म वेदना को आसान कर डालने की शक्ति निहित है .मेरी दृष्टि में हर दिन मातृ दिवस है।

 

मेरी माँ सर्वश्रेष्ठ माँ है इस दुनिया की, माँ में ही मेरी दुनिया निहित है। शान्त ,सरल और सौम्य है, निश्छल और परोपकारी है मेरी प्रथम गुरु ही नहीं मेरी अनन्य मित्र भी है .त्याग तपस्या की वह प्रतिमूर्ति है। साक्षात् देवी स्वरूपा है, बाल्यकाल से देखती रही हूँ कि वह अपने लिए कभी कुछ नहीं सोचती थी। दूसरे को कैसे सुख मिले यही चिंता का विषय होता था, हम सब भाई बहन कैसे प्रगति करेंगे कैसे स्वस्थ रहेंगे। जीवन में सर्वाच्च शिखर पर कैसे आरूढ़ हो सकूं यही मुख्य विषय होता था।

अतिथि देवो भव संभवतः उनके सदृश महिला के लिए श्लोक बना होगा। हमारे घर में अतिथियों का अम्बार लगा रहता था .वह सबका ध्यान रखती थी .मेरे पापा का भी ध्यान रखती थी .वह अर्धांगिनी नहीं पूर्णांगिणी थी पापा की। मेरी माँ वैद्य भी है क्योंकि कुछ भी हमें होता है तो माँ घरेलू नुस्खा से ठीक कर देती है, स्नेह की वर्षा से सरोबार करती रहती है। मेरी माँ सदृश त्यागमयी तपस्विनी विरले ही कोई स्त्री होगी .ओपन हार्ट सर्जरी हो चूका है लेकिन कभी भी अपना कष्ट नहीं बताती।

एक बार मैं किसी बात से आहत थी ,किसी सम्बन्धी के बात से ,माँ से बोले तो बोले तो बोली एक कथा कहते हैं। समझ जाओगी -एक किसान था। उसे कहीं से हीरा मिला वह पत्थर समझ अपने हल में लगा लिया, किसी जौहरी की दृष्टि हीरे पर पड़ी, उसे देख अपने लोभ को संवरण नहीं कर सका वह किसान से कीमत पूछा – तो वह बोला कि जो आप दे दीजिये .वह दो आने लगा दिया उसने दे दिया जैसे ही हीरा उसके हाथ में आया तो हीरा टूट गया और आवाज़ हुई कि सरल किसान मुझे नहीं जान सका था तो कीमत नहीं जान पाया तुम तो जानते थे फिर भी मेरा मूल्य २ आने लगाया .. माँ ने कहा – अब समझी माँ ने कहा -तुम्हारी कीमत वे सब समझ नहीं सके इसलिए। जब तुम्हें जानेंगे तो भर भर का प्यार मिलेगा * माँ मुझे दुनिया में रहना सिखाया .अतः ईश्वर की अनुपम उपहार है।

उसके स्नेह की पराकाष्ठा देख सभी चकित थे ,हुआ यह कि चार महीने पहले १जनवारी को पापा का देहान्त हो गया है .अपने कलेजे पर पत्थर रखकर वह रोई भी नहीं हमसबके के कारण.हम सबको संभालने में लगी रही .मेरी तबियत ख़राब हो गयी थी तो मुझे दिल्ली भेज दी १४वें दिन ही ,फ़ोन पर मेरे लिए व्याकुल रहती थी .बाल विवाह हुआ था उसका ,पापा से अलग नहीं हुई थी ,फिर भी बच्चों के लिए मूक हो गयी .पापा अस्वस्थ थे, डॉ . जवाब दे दिया तो कहती थी कि भगवान कि पूजा नहीं करुँगी ,ऐसा हुआ कि मेरे पति को चोट लग गयी थी तथा बहू को हलके चोट लगने पर पूजा शुरू करदी दामाद और बहू के लिए ऐसी कम ही महिला मिलेगी दुनिया में .. अतुलनीय है मेरी माँ .ऐसी ममतामयी ,त्यागमयी बहुत कम होती है .जगदम्बा स्वरूपा है मेरी माँ .यदि जन्म हो तो माँ की कोख से ही जन्म हो, यह विनती है ईश्वर से।

मेरी सास भी सदैव मातृवत स्नेह देती रहती हैं कभी बहू होने का एहसास भी नहीं होने देती हैं .वह भी निश्छल ,शान्त ममतामयी और त्यागमयी हैं .अपने बच्चो में उनकी जान बसती है। इस अनुपम दिवस पर बड़ी माँ (दादी ) को नमन , नानी माँ को नमन ,परदादी को नमन ,अपनी बुआ तथा आंटी को नमन। सभी काकी और मामी को दिल से नमन, इन सभी का स्नेह माँ जैसा ही मिला है।
धरती माता और भारत माता को दिल से नमन .इन्हीं के कारण हम सबका अस्तित्व है।

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