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आत्महत्या

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कुछ दिन पूर्व प्रत्यूषा बनर्जी की आत्महत्या का समाचार सुनकर संपूर्ण देशवासी स्तब्ध रह गया .आज तक मन विचलित हो जाता है कि इतनी कम आयु कि बालिका का अन्त हो गया उसने अपनी जीवन को ही समाप्त कर दिया .उसका अंतर्मन कितना व्याकुल होगा ‘आखिर क्या कारण रहा होगा ? कितनी मर्मान्तक पीड़ा से जूझ रही होगी ,वह बालिका .एक ही प्रत्यूषा नहीं है आज की इस चकाचौंध भरे युग में अनेक बालिकाएं असमय ही आत्महत्या कर लेती हैं या उनकी हत्या कर दी जाती है .कोई दहेज़ की बलि बेदी पर होम होती हैं तो कोई दुष्कर्म की शिकार होकर या कोई सपना पूरा नहीं होने के कारण .आज बेटियां कहीं भी सुरक्षित नहीं है ,उनके सपने पूरा होने से पूर्व ही तोड़ दिए जाते हैं ,पर कटे पक्षियों की तरह बालिकाएं तड़पती रहती हैं ,फलतः आत्महत्या को विवश हो जाती हैं .प्रतीक्षा की स्थिति भी अत्यन्त निराशाजनक रही होगी जिससे कोई उपाय नहीं मिलने के कारण विवश होकर आत्महत्या कर li होगी .सम्भवतः गर्भ में पल रहे शिशु को उसने जन्म से पहले ही मार देने का अपराध बोध हो सकता है ,अपने प्रेमी से विलग होने का दर्द या अर्थाभाव .कारण जो भी हो लेकिन होगा अत्यन्त कष्टदायक .
बालिका वधू सीरियल से विख्यात प्रत्यूषा आनंदी बन हर घर की दुलारी बन गयी ,कभी प्यारी बेटी बनकर तो कभी बहू बनकर तो कभी सच्ची सखी बनकर तो कभी भोलीभाली पत्नी बनकर चर्चित हो गयी सबकी चहेती बन गयी .हर वर्ग ,हर आयु के मध्य प्रसिद्द हो गयी .सबकी चाहत यही हो गयी की काश ऐसी बेटी, बहू ,मित्र ,सच्ची मित्र या कर्तव्यनिष्ठ पत्नी आनंदी सदृश ही हो. उसके सशक्त अभिनय ने सबको मोह लिया था .वह हर स्थान में अपना अमित छप छोड़ देती थी ,वह या तो बालिका बधू सीरियल हो या बिग बॉस या अन्य कोई स्थान .उसकी लावण्यता एवं जिवंत अभिनय देखकर यही तमन्ना होती थी कि मात्र वही दिखे ‘आवाज़ में एक अलग सी मिठास थी अद्भुत आकर्षण की मलिक थी .
इतनी रमणीय बाला ने अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर दिया ,यह बात मन स्वीकार नहीं करता .पुरुष मित्र से कहासुनी होने से अपना जीवन ही समाप्त कर दे ,अविश्वनीय प्रतीत होता ,खैर सत्यता भगवन को ही पता होगा या हत्यारे को या जो आत्महत्या करने पर विवश किया हो .
मेरी दृष्टि में इनसबके जड़ में है लिव इन रिलेशन .दो सोच के मानव साथ रहते हैं ,थोड़ी अनबन होने पर ही एक sathi छोड़ देता है या छोड़ने की धमकी दे देता है ,संवेदनशील जो होता है वह निराश होकर या तो आत्महत्या कर कर लेता है या मृतप्राय सदृश होकर जीवन व्यतीत करता है .बंधन तो कुछ रहता नहीं ,दोनों में से किसी के माता पिता की सहमति तो होती नहीं न समाज का भय ,मन मिला नहीं की अलग होना आम बात है ,इसलिए विवाह बंधन ही आवश्यक है .मन से कमजोर महिला ही होती है इसलिए हार तो नारी की ही होती है .हम सब चलचित्र या दूरदर्शन पर महिलाओं को देखकर सोचते हैं की आम नारी से उनसबकी स्थिति सुदृढ़ होगी ,उन्सब्का अनुकरण करते हैं लेकिन यथार्थ में उनकी दशा भी आम महिलाओं सदृश ही होती है .चकाचौंध की दुनिया में कुछ लोगों की मानवता कहीं खो जाती है ,वहां तो पुतला सदृश होता है .रंग मंच पर अभिनय करते करते मानव का ह्रदय भी पाषाण सदृश हो गया है ,नारी की स्थिति तो और भी दारुण है .हमसबने पहले भी प्रत्यूषा की तरह अन्य नायिकाओं के साथ ऐसी घटनाएँ देख चुके हैं .कुछ दिन पूर्व निःशब्द की नायिका भी निःशब्द हो गयी थीं ,वह भी अत्यन्त रमणीय थीं ,मुखर थीं ,आज भी उनकी छवि मानस-पटल पर अंकित है .दोषी आज तक जीवित है ,सिल्क स्मिता दिव्या भारती , परवीन बॉबी इत्यादि अनेक तारिकाओं ने खुद कुशी कर लीं ,लेकिन उन सबके हत्यारे या आत्म हत्या करने को विवश करने वाले जीवित होकर भ्रमण कर रहे हैं .सरकार मूक है समाज विवश है ,कोई भी क्षेत्र हो नारी की दशा दयनीय है ,अत्यन्त करुण है .कल भी और आज भी नारी प्रताड़ित होती रही हैं ,कभी दहेज़ के कारण तो कभी दुष्कर्म की शिकार तो कभी कार्यालय में पुरुष द्वारा सताई हुई या अन्य कारणों को देखकर या सुनकर मन व्यथित होता रहता है लेकिन विवश हैं ,
प्रत्यूषा की आत्म हत्या या हत्या जो भी कारण हो देखकर घाव पुनः हरा हो गया है ,गुस्से से उबल रही हूँ ,खून खौल रहा है लेकिन विवश हैं
पूजनीया नारी हमारे देश में न सुरक्षित हैं न स्वतन्त्र हैं .वे जाएँ तो जाएँ कहाँ ,कोई तो कुछ करो मात्र भाषण नहीं सुरक्षा की आवश्यकता है ,किसी उद्धारक की चाहत है ,
हर पुरुष से अपील करती हूँ की कोई तो कुछ करो मेरा खोया सम्मान लौटाओ ,रक्षक ही भक्षक मत बनो ,
हमें स्वतंत्रता का आभास हो ‘हमें तड़प तड़प कर जीना न पड़े ,स्वयं भी जीयो और हम महिलाओं को भी जीने दो हमें उन्मुक्तता मिले ,तड़प के साथ मृत्यु की और उन्मुख नहीं होना है ,जीने की राह चाहिए जिससे प्रतीक्षा , जिया या कोई अन्य बेटियों को तिल-तिल कर मरना नहीं जीने का अधिकार दो
मात पिता का पुनीत कर्त्तव्य है कि वे अपने बच्चों को चरित्रवान बनायें ,उनमें आत्मिक विकास पर जोड़ दें जिससे वे अपनी रूचि के अनुसार जीवन साथी का चुनाव करे ,आत्मबल विकसित करें जिससे कठिन परिश्थिति में में जीवन से हारकर मौत को नहीं जीवित रहने का संकल्प करे .हर मानव में मानवता का संचार हो .

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