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गुलाब की तरह महकती रहो
देश की माटी में तुम सूरज की तरह चमकती रहो
आत्म गौरव की रक्षा के लिए तुमारा यह बलिदान कभी नहीं भूला जा सकेगा
अमर हो अमर रहोगी.
तुम्हारी मिशाल जलते हुए मशाल की तरह भारतीय नारियों को अंधकार से प्रकाश में लाएगी.
देखो न ! अब कितना साहस आ गया है लोगों में, समाचार पत्रों का आधा भाग केवल स्त्रियों पर हो रहे अत्याचार की चर्चा से भरा रहता है. बच्चियां भी सड़क पर आ गयी है, न्याय मांगती है, यह एक कठोर सच्चाई है की आज कल मनुष्य हैवान हो गया है , शैतान हो गया है, क्रूरता के और हिंसा के नए नए दस्ताबेज प्रतिदिन लिखे जा रहे हैं लेकिन यह विश्वास है की ये काले अध्याय भारतीय इतिहास के अंधकारमय अतीत में खो जायेगा. लोग कठोरतम दण्डों की बातें कर रहे हैं, कुछ संत महात्मा या राजनीतिज्ञ औरतों को उपभोग की वस्तु मान कर उन्हें मर्यादा में रहने की सीख देते हैं. लेकिन वे अपनी मर्यादाओं को भूल रहे है. ग्यारह वर्षों की बच्ची , आठ से बारह वर्षों की स्कूली बच्चियों के साथ जहाँ शिक्षा कर्मी ही बलात्कार करते हैं,उन बच्चियों ने कब भड़कीले,चटकीले कपडे पहने? अरे ! यह सब विकृत मानसिकता है, वर्बरता की सारी सीमाएं टूट चुकी है. जरूरत है मानसिकता में परिवर्तन आये.
गाँव में ,टोलों में , शहरों में , मुहल्लों में नारियों की एक समिति बने और नारियां किट्टी पार्टी को छोड़ कर अपने आस पास के मोहल्ले की महिलाओं की , उनके दुःख दर्द को समझें, और उनके सम्मान की रक्षा के लिए संघर्ष करें. भद्र व्यक्तियों की भी कमी नहीं है. वे भी छोटी समितियों के माध्यम से सार्थक पहल करें,जिससे धीरे-धीरे विकृतियाँ दूर हो , नारियों की मर्यादा समझी जाये.
मनु ने ठीक ही तो कहा था की- ” जहाँ नारियों की पूजा होती है वहां देवता रमण करते है और हमारी कोई भी क्रिया धार्मिक हो या सामाजिक नारियों के बिना ‘अफला’ होती है.
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