Menu
blogid : 6094 postid : 1202817

जनसंख्या वृद्धि एक समस्या

My View
My View
  • 227 Posts
  • 398 Comments

Jansankhya samsya2द्वापर युग से ही आबादी बढ़ती थी उसी नियम से जिस नियम से आज भी बढ़ती है फिर भी जनसँख्या समस्या बनकर तब कभी नहीं आयी. आज जनसँख्या जटिल समस्या बन गयी है. इसकी वृद्धि से अनेक समस्या उत्पन्नं होती है. इस समस्या का दूसरा अंग बेकारी की समस्या है , बालविवाह , पुत्र की चाह, अशिक्षा , जानकारी का आभाव, सामाजिक एवं धार्मिक मान्यताएं इत्यादि. इन सभी कारणों को समूल नष्ट करना होगा. सम्भवतः इन उपायों से जनसँख्या वृद्धि पर रोक लग जाये. गरीबी बेरोजगारी, पर्यावरण समस्या , भ्रष्टाचार, आदि अनेक समस्याओं की जड़ यही है. इसके कारण नागरिकों का नैतिक पतन होता है. फलतः राष्ट्रीय चरित्र का पतन स्वाभाविक है. अर्थ व्यवस्था पर भी इसका प्रभाव पड़ता है. सरकार द्वारा अनेक प्रयत्न किये गए हैं, जनसंचार द्वारा परिवारनियोजन के सम्बन्ध में व्यापक प्रचार कार्य किया गया है और निरन्तर किया जा रहा है.
जनसंख्या राष्ट्र की शक्ति भी कही जा सकती है ।सरकार जन बल से बड़े बड़े कार्यो को कम समय और कम खर्चे में आसानी से करवा सकती है। देश रक्षा तथा शान्ति व्यवस्था के लिये देश के पास उन्नत सेना तैयार हो सकती है। जनसंख्या अधिक होने से लाभ भी है ।लेकिन आवश्यकता से अधिक जनसंख्या वृद्धि से लाभ कम हानि अधिक होती है।jansankhya samsya1
आज जनसंख्या की समस्या अत्यन्त विकराल समस्या का रुप ले चुका है। इस समस्या से अनेकों समस्याओं की उत्पत्ति हुई है।वर्षों से इस समस्या के समाधान के लिए कार्य किया जा रहा है।सर्व प्रथम १९५२ में भारत में ‘फैमिली प्लानिंग आरम्भ हुई थी। देश की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री ने ‘फैमिली प्लानिंग के लिए ठोस कदम उठाया भी था , लेकिन सही जानकारी न होने के कारण अधिकांश जनता के आलोचना की शिकार होना पड़ा था उन्हें। जिन लोगों का आपरेशन किया गया, उन में दूसरे कारण से भी अस्वस्थ होने पर आपरेशन को ही दोष देते थे। इसके पीछे उनके देश के प्रति प्रेम को किसी ने नहीं समझा। अज्ञानता के कारण कुछ लोग विरोध करते थे क्योंकि जागरूकता का अभाव था।” होम करते हाथ जलना” इसी को कहा गया है जो इन्दिराजी के साथ हुआ।उनके उत्कृष्ट भावना को कुछ लोग नहीं समझ सके ।यदि समझ सकते तो आज इतनी भीषण स्थिति नहीं होती।जनसंख्या की लगातार वृद्धि से अनेकों समस्या से देश जूझ रहा है।
सबसे मुख्य समस्या में है स्थान की समस्या है ।१०० लोगों के जगह में लाख लोगों के बढ़ने से समस्या होना स्वाभाविक ही है। गरीबी, बेरोजगारी आदि अनेक समस्याओं से पीड़ित है देशवासी। समाधान के लिये सरकार प्रयासरत तो है ही लेकिन वृद्धि से आशातीत सफलता नहीं मिल पा रही है। इसके लिए और भी ठोस कदम उठाना होगा।
जनसंख्या की वृद्धि को कम करने के सम्बन्ध में ‘बी के सूरज भाई’ का विचार अत्यंत सराहनीय है, उनका कहना है कि जिस मानव को एक बच्चा हो उन बच्चे को सबसे पहले नौकरी देनी चाहिए,उसके बाद दूसरे को ,उसके बाद तीन बच्चे वाले को , उसके बाद अन्य को। सूरज भाई का यह सुझाव अति उत्तम है। अगर इस सुझाव को मान्यता दे दे तो इस समस्या का समाधान शायद कुछ हद तक हो ही जायेगा।
देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह अनिवार्य है कि जनसंख्या की वृद्धि को रोकने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों प्रकार के प्रयत्न करनी चाहिए। परिवार नियोजन और औषधियों का सेवन करनी चाहिए , जिससे जनसंख्या की वृद्धि रोकी जा सकती है। सरकारी और गैर सरकारी दोनों ही स्तरों से इस समस्या के निवारण का प्रयास होना चाहिए। इस कार्य में तत्परता ,ईमानदारी पूरे बल से जुटने की आवश्यकता है , अन्यथा इसकी वृद्धि से परिणाम भीषण और घातक हो सकता है। सरकार के साथ हर मानव को जागरूक होना पड़ेगा ।Jansankhya samasya
सरकार सदा इस सदा इस समस्या के समाधान हेतु प्रयत्नशील रही है। परिवार नियोजन का जनसंचार द्वारा व्यापक प्रचार प्रसार किया गया है, और अनवरत संलग्न है। अनेक स्वयंसेवी संस्था इस समस्या के निदान हेतु कार्यरत है। सरकार द्वारा विवाह की आयु निर्धारित किये गए हैं, बाल विवाह पर रोक लगाया गया ,दण्ड का भी प्रावधान किया गया है। जिस किसी परिवार में मात्र एक बेटी है , उस बेटी के लिए अनेक सुविधाएं दो गई है। देश के हर नागरिक जब तक इस समस्या में सहयोग नहीं करेंगे तब तक इस समस्या का समाधान कठिन है ।
सरकार के साथ हर मानव को जागरूक होना पड़ेगा ।यदि सब मिलकर ध्यान देंगे तो पर्यावरण की समस्या,बेरोजगारी की समस्या , स्थान की समस्याओं का समाधान हो जाएगा। अत: जागरूकता की आवश्यकता है ।

Read Comments

    Post a comment