Menu
blogid : 6094 postid : 1389074

पाकिस्तानी हिन्दू न घर के न घाट के

My View
My View
  • 227 Posts
  • 398 Comments

मंजनू का टीला दिल्ली का वह क्षेत्र है जहाँ हिन्दू पाकिस्तानी रहते हैं. ये पाकिस्तान से भाग कर आये हैं, क्योंकि उनके ऊपर वहां जितने जुल्म ढाये जाते हैं वह वे बर्दास्त नहीं कर सकते. उनकी जमीन छीन ली जाती है , उनके बेटियों के साथ दुष्कर्म किया जाता है . किसी भी वक्त पुलिस वाले घर आ कर रेड मार सकता है. जीवन अति दुष्कर हो जाता है. परेशानी में भारत आते हैं, प्रताड़ित इसलिए किया जाता हैं क्योंकि वे हिन्दू हैं . ये भी सम्मान के साथ जीना चाहते हैं , ये लोग यह सोचते हैं कि भारत जाना चाहिए जहाँ हिन्दुओं को आदर मिलता हो. सम्मान मिलता है इसके लिए भारत से अधिक सहृदय देश अन्य है ही नहीं. इस लिए भारत की और रुख करते हैं.
ये जब पाकिस्तान से भारत आना चाहते हैं तब तीर्थ का बहाना बनाते हैं , वैसे तो पाकिस्तान इन्हे भारत आने नहीं देगा.दर्शन के बहाने आते हैं और पाकिस्तान इन्हे इसकी इज़ाज़त तभी देते हैं जब ये अपनी आभूषण,जमीन, जायदाद और कभी कभी तो पासपोर्ट भी ये उन पाकिस्तानियों को सौंप देते हैं. पाकिस्तान कहता है लौट के आओगे तो ये सब लौटा दूंगा. इन पाकिस्तानी हिन्दुओं को तो किसी भी तरह उस नर्क से निकलना होता है अतः ये सब कुछ दे कर भी वहां से आ जाते हैं.
जब ये इंडिया आते हैं तो यहाँ उनको न घर मिलता है , न नागरिकता मिलती है और न कोई अन्य सुविधाएँ. ऊपर से इन्हे पाकिस्तानी होने का दाग और दर्द लेकर जीना पड़ता है . पाकिस्तानी होने के कारण कोई इनसे अच्छा व्यवहार भी नहीं करता है. पाकिस्तानी होने के कारण इनलोगों पर विश्वास भी नहीं करता . फिर भी ये यहीं रहना पसंद करते हैं क्योंकि वहां इनलोगों को बहुत अपमानित किया जाता है .सरकार ने इन सबको मजनू का टीला दे दिया है.
इनमे से कुछ लोग राजस्थान और गुजरात भी चले जाते हैं और वहाँ वे वीरानों में झुग्गियों में रहने लगते हैं. जहाँ सांप ,बिच्छू , मच्छर ,कीड़े आदि के साथ रहते हुए ये सब मलेरिया ,डेंगू ,मेनेगजाइटिस आदि बिमारियों के शिकार हो जाते हैं.
इनको मदद चाहिए . आखिर ये हैं तो हिन्दू ही. विश्व हिन्दू परिषद् , बजरंग दल आदि संस्थाएं इन्हें सहयोग भी करते है. इन संस्थाओं की जितनी सराहना करनी चाहिए ,और भी संस्थाओं को आगे आकर इन सबकी सहायता करनी चाहिए .सरकार को भी जागरूक होना होना चाहिए ,लेकिन सरकारी स्तर पर इन्हे अपेक्षा कृत मदद कम ही मिलती है.
हम सब को इनलोगों की मदद करनी चाहिए. हमें तो विश्वबंधुत्व की भावना दिखाना चाहिए. यह तो उनके लिए आश्रयस्थली होनी चाहिए. ये कितने विश्वाश के साथ अपना घर , जायदाद, अपनों की यादें, आदि कुछ सब छोड़ कर भारत यही सोच कर तो आते हैं कि यहाँ उन्हें अपने मिलेंगे. हिन्दू हैं तो हिंदुस्तान में इज़्ज़त के साथ सहज जीवन जी सकेंगे हम सबका दायित्व है इन आश्रयहीन लोगों की सहायता करें सम्मान दें ,. इनके दर्द को समझना चाहिए ,ये सब अपना घर छोड़ कर आये हैं ,कितने दर्द में होंगे यह कल्पना करने की बातें है . जिस भरोसा से ये हमारे आश्रय में आये हैं ,उनलोगों के भरोसा को समझें ,उनकी सहायता ही नहीं करें वरण उन्हें अपना कुटुम्ब समझ कर इनलोगों की सहायता करें ,रक्षा करें .इनलोगों की उम्मीद को कायम रखें ,इनके बच्चों के अध्ययनार्थ सारी सुविधाएँ प्रदान करने का प्रयत्न करना चाहिए . इस सम्बन्ध में भारतवासियों के साथ भारत सरकार को भी संवेदनशील होनी चाहिए. बसुधैव कुटुम्बकम इस मूल मन्त्र को याद कर इन सभी की सहायता करें ,रक्षा करें .

Read Comments

    Post a comment