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बिहार में शराबबंदी

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नितीश कुमार का यह कदम अभिनन्दनीय है . बिहार में शराब का प्रयोग बंद कर दिया गया है . यह कदम किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं है . इस कदम से उन शराबी तथा शराब के विपणन से लाभ लेने वाले सारे लोगों का प्रारंभिक विरोध सरकार को झेलना पड़ेगा और कहीं न कहीं यह आज बिहार में परिलक्षित हो रहा है . राजनितिक स्वार्थ के वजह से अपने आप को नेता कहने वाले कुछेक कुबिचारी लोग तो खुल के अपने भाषण या वक्तव्य के माध्यम से इस कदम का विरोध कर रहें है . वस्तुतः वे शराब के तिजारत से लाभान्वित हों या न हों , शराब बंदी से उन्हें भी भले ही लाभ मिल रहा हो परन्तु उन्हें तो विरोध करना है क्योंकी उन्हें सरकार का विरोध करना है भले ही ही वह कदम कितना भी अच्छा ही क्यों न हो . जनसमुदाय के लाभ से उन्हें क्या लेना -देना , उन्हें तो अपनी रोटी सेंकनी है . पर जो जनता उन्हें सत्ता में पहुंचाते हैं और उन्हें उस सुख को भोगने का मौका देते हैं जिनसे वे सड़क से उठकर आलीशान जिंदगी जीते हैं उनको ये नेता सुखी क्यों नहीं देखना चाहते ?
‘शराब ‘ शब्द अरबी भाषा का शब्द है और इस का मतलव होता है बुरा पानी . ‘शर’ अर्थात बुरा और ‘आब ‘ का अर्थ पानी . मुझे तो लगता है की जो बुरे हैं उन्हें ही बुरा पानी अच्छा लगता है . मेरा तात्पर्य केवल उन लोगों से है जो शराब की बुराईओं को जानते हुए भी इसकी बंदी पर मात्र विरोध के लिए विरोध करते है. पर मैं विश्वस्त हूँ की जिस तरह मोदी जी ने गुजरात में शराब बंदी की और आज तक कायम है उसी तरह अनेकों विरोध के वावजूद बिहार में यह शराब बंदी सफल होगा.
गांधीजी के नाम पर राजनीती करनेवाले यह क्यों नहीं याद रख पाते है की उनका शराब के सम्बन्ध में कहना था की ‘शराब सभी पापों का जननी है.’ वे यह भी कहते हैं की शराब शारीरिक,मानसिक,नैतिक और आर्थिक दृष्टि से मनुष्य को बर्बाद कर देती है . शराब के नशे में मनुष्य दुराचारी बन जाता है , वहीँ चेहरा जो शराब पिने से पहले प्यारा आकर्षक ,प्रसन्न , विचारशील लगता रहता है वही शराब के आदि होने पर घृणास्पद,निकृष्ट,खूंखार,असंतुलित ,अनियंत्रित और वासनात्मक भूखे भेड़िये के सामान लगता है.
यह सभी जानते हैं की शराब हमारे देश में घरेलु हिंसा,सड़क दुर्घटना और लीवर तथा किडनी सम्बंधित बिमारियों की सबसे बड़ी वजह है. शराब गृहस्थियां बर्बाद कर देती है. शराब युवा को अकाल मृत्यु की ओर अग्रसर करता है. शराब मस्तिष्क के संचार तंत्र को धीमा कर दुर्घटनाओं का कारण बनती है, और धीरे -धीरे मनुष्य कि सोचने कि शक्ति को ख़त्म कर देती है. शराब एक मनोसक्रिय ड्रग है,जिसमें अबसादकीय का प्रभाव होता है. एक उच्च रक्त अल्कोहल सामग्री को सामान्यतः क़ानूनी मादकता माना जाता है, क्योंकि यह ध्यान लगाने की क्षमता कम कर देता है और प्रतिक्रिया देने की गति को धीमा कर देता है.
शराब के रोगियों में 27 प्रतिशत मस्तिष्क रोगों से 23 प्रतिशत पाचन-तंत्र के रोगों से ,26 प्रतिशत फेफड़ों के रोगों से ग्रस्त रहते हैं. गर्भावस्था में शराब पीने से बच्चे को रोगों का खतरा रहता है.
अब सोचिये की इतनी बिमारियों के उपचार में कितना खर्च करना पड़ता है देश को या राज्य को ! इतना ही नहीं यह तो रोग की बात हुयी पर शराब से सड़क दुर्घटना में हर वर्ष देश में औसतन ७५००० मृत्यु होती है जिसे पैसे से नहीं मापा जा सकता और यह अत्यधिक हानि है किसी भी देश के लिए.
बिहार सरकार ने 2016 में शराब विक्री से ४००० करोड़ राजस्व का अनुमानित बजट रखा था , इस की हानि तो होगी, परन्तु लम्बी अवधी में यह हानि निश्चय ही लाभ में परिवर्तित होगा . क्योंकि शराब से जितने राजस्व की प्राप्ति होती है उससे ज्यादा धन खर्च तो शराब के कारण होने वाले दंगे -फसाद ,लड़ाई-झगडे,दुष्कर्म की रोकथाम,दुर्घटनाओं की रोकथाम,कानून व्यवस्था बनाए रखने,कार्य क्षमता की हानि,कार्य दिवसों की कमी के कारण सकल घरेलु उत्पाद में होने वाली कमी ,जेल व्यवस्था और शराब के कारण होने वाली बिमारियों की रोकथाम व उपचार पर खर्च हो जाता है.
अब प्रश्न यह है की क्या कोई सरकार अपने देश या राज्यों के जनताओं का मानव हत्या कर राजस्व संकलन कर सकता है? नहीं ! फिर जनता को बीमार करने वाली वस्तुओं का विपणन से होनेवाली आमदनी राजस्व कैसे कहलायेगा? अगर इस तरह अर्जन किया राजस्व सही नहीं है तो फिर बिहार सरकार या नीतीशजी का यह कदम मात्र सराहनीय ही नहीं साहसिक भी है और प्रशंसनीय भी है.
वास्तव में अब विषपान नहीं होने से मानव को नारकीय जीवन से मुक्ति मिलेगी .बिहार का हर घर स्वर्ग सदृश होगा , संसार की संपूर्ण वैभव ,प्रसन्नता ,संतुष्टि का अनुभव बिहारवासियों के हर आँगन में होगा .मुख्यमंत्रीजी यदि इसके साथ तम्बाकू ,गुटखा , सिगरेट आदि बन्द करवा दें तो सोने पे सुहागा हो जायेगा .ऐसा हो जाय तो यह अत्यन्त ही साहसिक एवं प्रसंसनीय कदम होगा .यदि संपूर्ण देश में रोक लगा दिया जाय तो आधी आबादी के घर से क्लेश मिट जायेगा .हर मानव की समस्या स्वतः ही समाप्त हो जायेगा .शराब पर जितने धन व्यय होते हैं ,उतने धन से स्थिति में सुधार हो जायेगा .निर्धन मध्यम वर्ग में ,मध्यम वर्ग उच्च वर्ग में तथा उच्च्वर्गीय और भी आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो जायेगा . हर पत्नी भयाक्रान्त नहीं रहेगी की उसके पति को एक्सीडेंट का भय नहीं रहेगा ,किडनी ख़राब नहीं होगा ,ह्रदय रोग ,यानी कोई भी रोग नहीं होगा .हर माँ को यह भय नहीं रहेगा कि उसका बेटा इस विषपान रुपी दानव का शिकार होगा . किशोर भटकेंगे नहीं ,पथभ्रष्ट नहीं होंगे .आजकल महिलायें भी इसमें पीछे नहीं हैं ,किशोरियां इसका सेवन कर रही हैं ,अतः देश के प्रत्येक मानव को इस महामारी से राहत मिलेगी .अतः हमारे प्रधान मंत्री जी बिहार के मुख्यमंत्री की तरह या जिस तरह उन्होंने स्वयं गुजरात में बन्द करवायी थी उसी तरह कठोर कदम उठाकर शराब मुक्त देश घोषित करना चाहिए .उनके इस कदम से फिर से हमारा भारत सुसंस्कृत होकर ऋषि मुनि के देश हो जायेग .देश के हर नागरिक सफलता की सोपान पर चढ़ जायेगा ,देश के हर मानव पवित्र आचरण यानी क्लीन हैबिट का बन जायेगा .
अभी शुरू में कठिनाईयां आएगी. कुछ लोग तस्करी करेंगे ,कुछ लोग पडोसी देश या पडोसी राज्य में जाकर सेवन करेंगे और धीरे-धीरे ये सब सुधर जायेंगे. सरकार को सख्ती करनी पड़ेगी , नरकटियागंज के एम एल ए जैसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करनी पड़ेगी . पुलिस को तेज और चौकन्ना बनना पड़ेगा , साथ-साथ वे जनता जो इस मुहीम को सफल बनाना चाहते हैं उन्हें सक्रीय हो कर सरकार को सहयोग देना पड़ेगा. पर सफलता जरूर मिलेगा.

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