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रेलवे आरक्षण -सुविधा या समस्या!

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देश की एक बहुत बड़ी समस्या है रेलवे आरक्षण की. हम सभी भारत वासी इस समस्या से जूझ रहें हैं. दो-दो महीने पहले टिकट के लिए प्रयाश करने पर भी टिकट नहीं मिलती है. बच्चों की अवकाश के बारे में पता हो तो हम और पहले ही प्रयाश करलें. लेकिन जीवन -मृत्यु का तो समय पहले से पता नहीं होता, साक्छात्कार का तो समय निर्धारित नहीं होता. अब तो तत्काल में भी टिकट समय पर नहीं मिलता.
सुख में कहीं जाना न हो तो चलेगा लेकिन दुख में न जाएँ तो कैसे चलेगा.मैं स्वयं कितनी बार इस का शिकार हो चूका हूँ. सबसे दुखद घटना रही की मैं अपनी दादी की अंत्येष्टि में नहीं पहुँच पाई. इसका दुख तो जीवन पर्यंत रहेगा.यह घटना मात्र मेरे साथ ही नहीं हम में से बहुत लोगों को भी इस भीषण परिस्थिति का सामना करना पड़ा होगा.
आप बताएं क्या इसका समाधान नहीं हो सकता? क्या हम ऐसे ही टिकट के आभाव में सुख दुख, जीवन मृत्यु बीमारी , उचित समय पर साक्छात्कार में भी नहीं पहुंचें? प्रत्येक रेल बजट में दर्जनों ट्रेन की बढ़ोतरी होती है फिर भी हम क्यों इस परेशानी से परेशान होते हैं?
रेलवे आरक्षण पर माफियाओं का राज्य है. आप टिकट खिड़की पर सुबह- सुबह चले जाएँ लेकिन आपको नो वकेंसी मिलेगा.टिकट पहले ही बुक हो चुके होते हैं. इन्टरनेट से प्रयाश करो तो इतना स्लो मिलेगा की आप टिकट बुक नहीं करा पाएंगे. लेकिन वही टिकट आप चाहें तो दलाल के मार्फ़त अतिरिक्त शुल्क दे कर प्राप्त कर सकते है. आखिर कैसे? सिम्पल, क्यों की नेक्सास है. सभी मिल कर कला बाजारी करते हैं.
या तो यात्रिओं के अनुपात में गाड़ी कम है. या गाड़ी यात्रियों के रूट के अनुशार कम है. कुछ तो गड़बड़ है. और इस गड़बड़ी को खत्म करना रेल मंत्रालय का कर्तब्य होना चाहिए.

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