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समरथ को कछु दोष न गोसाईं

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जब माननीय अटल बिहारी वाजपेयी प्रधान मंत्री थे और मुफ़्ती मोहम्मद सईद गृह मंत्री थे केंद्र में जो अभी बी जे पी के गठबंधन से गठित जम्मू कश्मीर के मुख्य मंत्री है उनकी सुपुत्री रुबिया सईद का अपहरण हुआ था . उनको अपहरणकर्ताओं से मुक्त करने हेतु उस मंत्रिमंडल के एक वरिष्ठ मंत्री जसवंत सिंह ने उग्रवादियों की सारी मांगे पूरी की. उन्हीं में एक हाफिज सईद भी हैं जो सदैव भारत के लिए जहर उगलते रहते है. क्या किसी और की बेटी होती तब भी भाजपा सरकार ऐसा ही करती ?
ललित मोदी को सहायता करना उचित था क्या ? विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का ललित मोदी की मदद के कारण यदि विपक्ष आवाज़ उठाती है तो सार्थक ही है और क्यों न हो . अगर विपक्ष सत्ता में होती तो आवाज़ नहीं उठाती क्या? भा.ज . पा. विरोध नहीं करती क्या?
आई . पी. एल. के विवादित पूर्व प्रमुख ललित मोदी की सहायता करके विदेश मंत्री ने गलती तो की ही है . ब्रिटिश ट्रेवल वीजा दिलाने के लिए भारतीय मूल के ब्रिटिश संसद कीथ वाज़ से पैरवी करना तथा उनके प्रयत्न से २४ घंटे के भीतर दस्तावेज़ भी मिल जाना . यह सर्वथा निन्दनीय है .
अमित शाहजी विवादित व्यक्ति की मदद करना देश के हितार्थ है क्या ? ललित मोदी की पत्नी कैंसर से पीड़ित है, यह वास्तव में दुःखद है .

अगर यही घटना किसी आतंकवादी के साथ हो तो ? क्या सरकार ध्यान देगी ? केंद्रीय गृहमंत्री जी का यह कहना कि सही है मानवीय संवेदना रखनेवाले को यही करना चाहिए था . यही बात यदि कांग्रेस सरकार में होती तो क्या उन्हें उचित प्रतीत होता ? कथनी करनी में अंतर क्यों ? सैदेव मृत व्यक्ति को भी राजनीति की गलियारों में उछाला जाता है ,मानव यह भी भूल जाता है कि जो इस संसार में नहीं है तो उसे क्यों बदनाम किया जाता रहा है . मान लिया जाय कि यदि उसने भूल की भी तो क्या वह जवाब देने स्वर्ग से आएगा ? उस समय क्यों नहीं कोई राजनेता मानवीय संवेदना की बातें करते ? कोई भी पार्टी हो मृत नेता को बदनाम करना मानवता के ख़िलाफ़ है .मेरी दृष्टि में तो यह गुनाह है .सब अपनी अपनी रोटी सेकने में लग गए हैं .ओछी से ओछी बातें करने में भी लज्जा नहीं आती ,कोई आस्तीन का साँप कहता तो कोई कुछ और . बी . जे .पी . वाले मात्र पैसे की लेन देन को ही अपराध मानते हैं. यूं . पी . ए. सरकार के समय में मढ़े गए सारे घोटलों की बातें उठाकर नेता भटका रहे हैं . प्रश्न यह है की सुषमा स्वराज के पति ,बेटी सब ललित मोदी के वकील हैं. ललित मोदी पर गवन का आरोप है , फिर उनके लिए इतनी हमदर्दी !?
हिंदुस्तान में राजनीतिक व्यक्तियों से सम्बन्ध हो तो लाभ होना स्वाभाविक है. चाहे यु पी ए हो या एन डी ए . सुषमा जी का ललित मोदी से २० साल पुराना सम्बन्ध है. वशुंधराजी ललित मोदी के पत्नी के साथ पुर्तगाल तक जाती है. आखिर सम्बन्ध तो सामाजिक जीवन है, यह राजनीति के कारण खत्म तो नहीं किया जा सकता है न ! भले ही जिसे लाभ पहुँचाया गया हो वह कोई भी हो – देश के अहित का आरोपी ही क्यों न हो.
देश में कोई साधारण जनता अनजाने में भी अपना घर किसी कथित अपराधी को भाड़े (रेंट) पर दे दे तो उसपर कार्यवाही हो जाती है. लेकिन करोड़ों के गवन करने वालों को सहयोग करना सहज माना जाता है. तभी तो कहते हैं की “समर्थ को कछु दोष न गोसाई”.
राहुल जी का बयान की सुषमाजी को बर्खास्त करना चाहिए . यह कहना न्यायपूर्ण नहीं है .इतनी सम्मानित नेता के विषय में कथन अनुचित है. इतनी बड़ी ग़लती भी नहीं की हैं जिससे उन्हें बर्खास्त किया जाय या निलंबित किया जाय .
करनी और कथनी में भेद रखने के मामले में सभी राजनैतिक दलों में समानता है. लेकिन खुद को दूध के धुले कहने वालों से ऐसी अपेक्षा जनता नहीं रखती है.
सरकार को यह हिम्मत दिखानी चाहिए की ललित मोदी को हिंदुस्तानी न्यायपालिका के द्वारा सही या गलत का प्रमाण मिलता .
जब सरकार ललित मोदी को भारत लाकर न्याय नहीं करवा सकता तो दाऊद को कहाँ से ला पायेगा . ऐसे में भाजपा को जनता डपोरशंखी ही समझे तो क्या गलत होगा .

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