My View
- 227 Posts
- 398 Comments
न कृश हैं न कातर,
न कमजोर हैं न कायर ,
न दीन हैं न दुर्बल,
न घमंडी हैं न लाचार .
मानवता हमारे साथ है,
साथ है संसार,
धूल मत समझो हमें,
हम हैं ज्वालामय अंगार .
धृष्ट हो तुम दया के पात्र नहीं
प्यार से समझाया , तूने समझा नहीं,
बांग्लादेश तुझसे संभला नहीं,
स्वतंत्र किया उन्हें ,पर अपने में मिलाया नहीं.
कतरे तेरे पंख, फिर भी तू सुधरा नहीं .
अब दूसरा पंख काटूंगा
बलूचों को आजाद कराऊंगा
लाहौर लौटा दिया था
पर अब कराची भी न लौटाऊंगा.
शीशे के घरों में रहते हो
और दूसरे पर पत्थर फेकते हो ?!
हमारी पानी पीते हो
हमें ही आँख दिखाते हो ?!
फोड़ दूंगा,तोड़ दूंगा
मिटटी में मिल जाओगे
जल बिन तड़पोगे ,
या जलजला में बह जाओगे .
सवा सौ करोड़ का बल है हम में
सरगना हो आतंकियों के,तुम क्या कर पाओगे ?
जब भी सर उठाओगे , अपने मुहँ की ही खाओगे !
— डा.रजनी दुर्गेश .
Read Comments