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“हास्य व्यंग्य का केंद्र नारी” – नारी का अपमान .

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मेरी दृष्टि में आज कल महिलाओं के ऊपर व्यंग्योक्ति और हास -परिहास भी उसके शोषण का प्रमुख कारण है . रेडियो,टी . वी. हो या कोई कवि सम्मलेन, महिलाओं पर ही छींटाकशी या परिहास करके मानव आनन्दित होते रहते हैं . पुराने हास्य कवियों में काका हाथरसी को याद करें, उनके हास्य कविताओं की केंद्र बिंदु ‘काकी’ ही हुआ करती थी . हास्य कवि सुरेन्द्रजी की कविताओं में भी ‘लुगाई ‘ ही केंद्रबिंदु में रहती हैं . सामान्य लोग भी पत्नी पर निरर्थक व्यंग्य करते हैं , उनका अनावश्यक मज़ाक बनाना, ये सब एक तरह से अपमानित करना ही हुआ न ! या उसे कमज़ोर बनाने क़ी साज़िश भी हो सकता है . उस के ऊपर घर तोड़ने का लांछन लगाकर मज़ाक बनाना मानव की प्रकृति बन गयी है . जबकि नारी कभी ऐसा घृणित कार्य स्वप्न में भी नहीं सोच सकती है . वह तो जोड़ने का काम करती है ,वह घर की स्तम्भ है .व्हॉट्सएप द्वारा शेयर किये जाने वाले अधिकतर व्यंग्य महिलाओं के सम्बन्ध में ही रहता है , और कभी कभी यह व्यंग्य अश्लीलता की हद को पार कर देता है . सबसे शर्मनाक और अफसोसजनक बात तो यह है कि कुछ महिलाएं भी इसे चटकारे ले ले कर एक दूसरे को सुनाती हैं और शेयर करती हैं . अस्तु ! विगत कुछ वर्षों से देख रही हूँ कि दूरदर्शन पर दिखाई जाने वाली सीरियलों में महिलाओं को षड़यंत्रकारी के रूप में दिखाया जाता है , ऐसा प्रतीत होता है जैसे महिलाएं षड़यंत्र क़ी पर्यायवाची है खलनायिका के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, कम अक्ल वाली के रूप में अर्थात हर तरह से नकारत्मक रूप प्रस्तुत किया जाता है. . नारी ऐसी नहीं होती .
मैं विस्मित हूँ क़ी कैसे ‘सेंसर बोर्ड ‘ इस तरह क़ी धारावाहिकों की प्रसारण क़ी इजाजत दे सकते हैं !
मनुस्मृति में मनु ने कहा है जहां नारी क़ी पूजा होती है वहां देवता रमन करते हैं .’मम्मट रचित ‘काव्यप्रकाश ‘ में कान्ता सदृश उपदेश को महत्वपूर्ण मन गया है ,और आज क़ी महिला को हास्य विनोद का साधन या कहें की विषय बनाकर अपने को महान समझते हैं .
महिला के साथ दुष्कर्म का कारण इस तरह क़ी कटूक्ति भी हो सकती है . मानव संवेदनहीन हो गया है .
मैं यह सब देखकर सुनकर मर्माहत हो जाती हूँ .क्या नारी अपमानित होने के लिए इस धरा पर आई है ? जब तक यह मानसिकता नहीं बदलेगा तब तक महिला पीड़ित ही होती रहेगी .
मैं समाज के हर वर्ग से आग्रह करती हूँ कि महिला को उपयुक्त स्थान मिले , उसका सम्मान हो .
मैं सरकार से अपील करती हूँ कि नारी के ऊपर इस तरह की अशोभनीय व्यवहार पर , सीरियलों पर प्रतिबन्ध लगाये . महिला को सम्मान दिलाएं .
आइये हम सभी मिलकर शपथ लें कि हर नारी का सम्मान करेंगे क्योंकि नारी माँ होती है, जननी होती है और जननी की जहाँ इज्जत न होता हो वह केवल ‘राक्षस’ देश ही हो सकता है. मानव देश में तो नारी पूजनीय ही होती है. तो आईये हम सब नारी की इज्जत करे और भारत को मानव एवं मानवीयता का देश बनायें.
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