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राजस्थान अब विकास के पथ पर अग्रसर है और उसके ऊपर लगा बीमारू राज्य का धब्बा हटा गया है। सीएम वसुंधरा राजे के विकास के कार्यक्रमों को प्रशंसा मिल रही है।
ऎसे विचार जेएलएफ के दूसरे दिन शाम के सत्र “राजस्थान: आउट ऑफ बीमारू” में सामने आए। इस सत्र में नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगडिया, पत्रकार ओम थानवी, मालविका सिंह और बिबेक देबरॉय ने अपने विचार व्यक्त किए।
विकास के मामले में तीसरे नंबर पर राजस्थान
पत्रकार ओम थानवी ने कहा कि राजस्थान बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर आ गया है। वह विकास के हर मामले में देश में तीसरे नंबर का राज्य बन गया है। उन्होंने पंचायत में शैक्षिक योग्यता लागू करने के कदम की सराहना की।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि विकास के लिए इंदिरा गांधी नहर का निर्माण किया गया लेकिन उससे किसानों को लाभ कम नुकसान ज्यादा हुआ। वहां की जमीनें अब दलदल बन गई हैं। सरकारों ने लोक जुंबिश जैसी योजनाओं का गला घोंट दिया।
राजस्थान के विकास के मामले में तीसरे नंबर पर आने पर बिबेक देबरॉय ने सवाल उठाए। उन्होंने थानवी से कहा कि आपको इसका प्रमाण देना चाहिए। इस पर उन्होंने कहा कि उन्होंने एक पत्रिका में इस बारे में पढ़ा था।
समस्या का समाधान बताने की मांग
चर्चा के दौरान पनगडिया ने थानवी से कहा कि अगर आप कोई समस्या बताते हैं तो उसका समाधान भी बताएं। इस पर थानवी ने कहा कि अगर एसएमएस अस्पताल की समस्याओं के बारे में बताया जाए तो क्या आप ये कहेंगे कि आप खुद डॉक्टर बन जाओ। पत्रकार के नाते उनका काम प्रश्न करना है, समाधान का काम प्रशासन या सरकार का है।
“राजे के पास राजनीतिक इच्छाशक्ति“
इस विषय पर मालविका सिंह ने कहा कि कोई भी राज्य या देश कितना भी विकसित क्यों न हो जाए, वहां हमेशा विकास की गुंजाइश होती है। उन्होंने विकास के लिए सीएम राजे के विजन की तारीफ की।
उन्होंने कहा कि राजे के पास राजनीतिक इच्छाशक्ति है और वह विकास के निर्धारित पैमाने से आगे की सोच रखते हुए काम कर रही हैं। इसके लिए खासतौर पर उन्होंने प्रदेश में हो रहे आधुनिक विकास का जिक्र किया।…और पढ़े
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