- 39 Posts
- 0 Comment
फिल्म “पीेके” में जो दिखाया गया, मैं उससे थोड़ा असहमत हूं। हमें धर्म की व्याख्या करने के लिए इतना रूढिवादी नहीं होना चाहिए।
यदि कोई व्यक्ति या संगठन कोई गलत काम करता है, तो क्या उससे जुड़े सभी लोग गलत हो जाएंगे। मुझे बस, इसी पर आपत्ति है।
हां, आपने दिखाया धर्मगुरू लोगों को भटकाते हैं, बिलकुल सही है। जो स्वार्थी होते हैं, वे चाहे धर्मगुरू हों, चाहे कोई और, आपको भटकाएंगे ही, लेकिन क्या सभी धर्मगुरू? कुछ तो सही रास्ता भी बताते होंगे।
देश में ऎसे कई धर्मगुरू हैं, जिन्होंने इस देश को सही रास्ता बताया। मैं स्वामी चिन्मयानंद का नाम लेना चाहूंगा। उन्होंने लोगों को दिशा दी।
दूसरा सवाल आस्था का है, मैं आदर्श भक्ति का पक्षधर हूं। मैं खुद भी भगवान शिव की पूजा करता हूं। मुझे लगता है कि यदि आप मानते हैं कि भगवान हर जगह मौजूद है, तो उसकी पूजा करने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए।
चाहे वह पेड़ हो, पत्थर हो, मंदिर हो या मस्जिद। बस, मेरा कहना यह है कि जिसमें जिसकी आस्था है, उसमें उसकी आस्था रहने दो।…और पढ़े
Read Comments