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आखिर काजल दुसरे की क्यों नहीं हो सकती ?

लिखा रेत पर
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वो गार्ड रसिला को घूरता था जो रसिला को पसंद नहीं था. सिर्फ इस कारण इन्फोसिस की महिला इंजिनियर रसिला राजू को जान से हाथ धोना पड़ा क्योंकि उसने गार्ड भबेन सैकिया से उसकी शिकायत करने की बात कही थी. यह कोई प्रेम कहानी नहीं थी कि रसिला ने उससे प्यार किया और बाद छोड़ दिया जिस कारण दिल टूटे आशिक गार्ड ने ताव में आकर हत्या कर दी. में इसे एकतरफा प्रेम का नाम नहीं दे सकता क्योंकि यह सिर्फ एक वासना की गिद्ध द्रष्टि जैसा है!!

90 के दशक में जब ग्रीटिंग कार्ड पर इस तरह की शायरी चल रही कि “चाँद आहें भरेगा फूल दिल थाम लेंगे, हुस्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेंगे” उसी दौरान जीत फिल्म का एक डायलाग बड़ा प्रसिद्ध हुआ था जब नायक ने दूर जाती नायिका से कहा- “काजल तुम सिर्फ मेरी हो” मैं जब बहुत छोटा था इसके मायने नहीं समझ पाया. हाँ कई साल बाद मैंने यह  डायलाग  पता नहीं कितने लोगों की मोबाइल रिंगटोन, ऑटो, डीजे, आदि में सुना, तो हमेशा सोचता रहा कि आखिर काजल दुसरे की क्यों नहीं हो सकती ?

काजल यानि कोई भी एक लड़की ले लो जो कोई कुर्सी, मेज, भूमि का टुकड़ा या खरीदी गयी प्रोपर्टी नहीं है.  उस लड़की के अपने सपने, अपनी सोच, मर्यादाएं सीमाएं और सबसे बड़ी बात उसकी अपनी जिन्दगी होती है. तो क्या उनपर कोई भी कब्जा जमा लेगा? उन्मुक्ता का अधिकार सबको है. मुझे भी और आपको भी. सबकी अपनी-अपनी पसंद भी होती है, जरूरी नहीं जो हमें पसंद हो वो सब दुसरे को भी पसंद हो? खैर रसिला राजू कोई पहली लड़की नहीं है जो इस तरह के हादसे का शिकार हुई है. अखबार के किसी न किसी पेज पर हर दुसरे तीसरे दिन ऐसी एक घटना जरुर मिल जाती है. जो अधिकतर राजनैतिक उथल-पथल की खबरें पढ़ते समय  सुबह चाय के कप के निचे दब जाती  है.

यदि ऐसे मामलों की बात की जाये तो जुलाई 2016 बिहार के गोपालगंज जिले में सिरफिरे आशिक ने एकतरफा प्यार में अपनी कथित प्रेमिका की धारदार चाकू से गला रेतकर हत्या कर दी थी. तो अगस्त माह में दिल्ली के भलस्वा डेरी इलाके में रहने एक प्रेमी ने लड़की को जिंदा जला दिया था. दिसम्बर माह में शामली के पास गाँव में एक प्रेमी द्वारा अपनी प्रेमिका की दरांती से गर्दन रेत कर हत्या करने का सनसनीखेज मामला सामने आया था. ये सब देश की अलग-अलग जगह के मामले है और इन सब मामलों में आरोपियों से एक ही जवाब मिला था कि वह उक्त महिला से प्रेम करता है वो दुसरे के साथ जाना चाहती थी इस वजह से हत्या कर दी. मसलन हर जगह वजह यही कि “काजल तुम सिर्फ मेरी हो”

कहते है प्यार को शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता और ना ही इसकी कोई परिभाषा है. इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है. प्यार की कोई भाषा नहीं होती है. ये शब्दविहीन वर्डलेस होता है. प्यार एक ऐसी तपस्या है जिसमे इंसान अपनी सारी खुशियां, अपने अपने प्यार के लिए कुर्बान कर देता है. प्यार एक समर्पण है जिसमे इंसान अपने प्यार के लिए पूरी तरह समर्पित हो जाता है, प्यार एक त्याग का नाम है. जो इमरोज ने लेखिका अमृता प्रीतम के लिए किया. यदि लोग गर्दन काटना जिन्दा जलाना आदि को प्यार का नाम देंगे तो पागल, सनकी या मनोरोगियों को क्या कहेंगे?

जरूरी नहीं कोई इंसान किसी एक आदमी के साथ बँधकर रहना चाहता हो. इसे प्रतिबद्धता की कमी भी कह सकते है. जाहिर सी बात है अगर एक इंसान से जरूरते पूरी नहीं हुई तो इंसान उसे छोड़कर दूसरे के पास अपनी जरूरतें पूरी करने चला जाता है. शरीर यांत्रिक है इसे जबरदस्ती आध्यात्मिक बनाया जाता है. या फिर किसी पर जरा सी मुसीबत, या मुश्किल समय आ जाता है तो लोग उसे छोड़कर दूसरे के पास चले जाते हैं. इसमें महिला और पुरुष दोनों है. क्योंकि मेने अभिनेत्री काजोल अभिनीत फिल्म गुप्त भी देखी जिसमे एक लड़की नायिका एक लड़के नायक को पाने के लिए कई कत्ल तक कर देती है. हालाँकि महिलाओं के इस तरह के मामले विरले ही सुनने में आते है. हाँ पुरुष जरुर इस बात को सौ फीसदी सच मान बैठता है कि यदि लड़की ने उसे देखा मुस्कुराया, या हंसकर बात की तो वो उसकी अमानत हो गयी है.

इस मामले में अधिकांश स्त्रियों के उलझे होने पूरी संभावना होती है. क्योंकि प्रेम के या सेक्स के निवेदन उसके पास अधिक आते है वो उन्मुक्ता चाहती और कई बार वो पुरुष के दोगलेपन को स्वीकार भी कर लेती है क्योंकि इतनी उलझनों के बाद भी वो प्रेम करना चाहती है लेकिन प्रेम और विश्वास में डूबे उसके अस्तित्व पर जब कब्जे की बात आती है तो वो कई बार घुटन महसूस करती है. यदि प्रेम में उसकी स्वाभाविक उत्सुकता और भागीदारी के बावजूद भी पुरुष मन में जब कहीं संदेह उपजता है तो वो किनारा करना चाहती है. जिसे पुरुष स्वीकार नहीं कर पाता और काजल तुम सिर्फ मेरी हो इस तरह डायलाग को ध्यान में रख हिंसा कर बैठता है मेरे हिसाब से इसे सिर्फ प्यार का जुनून या सनकपन कहा जा सकता है क्योंकि यह कैसा और कहां का प्यार है जिसमें सामने वाले को चोट पहुंचा कर खुशी मिलती है?…राजीव चौधरी

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