Menu
blogid : 3672 postid : 84

कहो आज फिर वह संवाद…

लोकतंत्र
लोकतंत्र
  • 44 Posts
  • 644 Comments

 

कहो आज फिर वह संवाद
गूंजा था भारत में – सभ्यता का नाद |

 

इस हारे बेचारे जन-मन को
दो बता, अब आता फिर से सूर्योदय – बीत चली अब रात …|

 

ठहरा था जन टूटा था मन

स्वप्न हमारे चूर हुए हैं ।

 

पर हम भी भारत के जन हैं

नहीं अभी भी धूल हुए हैं ।

 

राम लड़े थे पैदल चल कर, जंगल-जंगल भटक-भटक कर

आता है हम को अब भी याद ।

 

देखो रात घनी ही होगी

मुश्किल देखो बड़ी ही होगी … ।

 

फिर भी रे जन लड़ना होगा

भारत के हित में चलना होगा ।

 

कहाँ हैं युवा, जोशीले अपने

कहाँ हैं लक्ष्मी बाई हमारी …?

 

आओ आगे, छोड़ो अब ये, जीवन-यापन के बहाने

देश माँगता, तुमसे जीवन, हाथ पसारे !

 

निकलो घर से, निकलो गाँवों से – शहरों से

आज फिर से आई पुकार… ।

 

ले हौसला बढ़ो आज फिर

राह देखता भारत का जन-मन

 

कहो आज फिर से वह संवाद
गूंजा था भारत में – सभ्यता का नाद |

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh