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हमें पुलिस की ज़रुरत है …

मन की बात
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अगर कोई किसी दरिया में एक रुपये का सिक्का फेंक दे और आपको उस सिक्के को तलाश करने के लिए कहा जाए ऐसे वक़्त आपकी सोच क्या होगी ?? पुलिस को कभी कभी ऐसे ही काम दे दिए जाते है …… और कई बार पुलिस इसमें सफल भी होती है हालांकि तरीको का खुलासा यंहा नहीं किया जाए तो शायद बेहतर है। एक छोटी सी घटना का खुलासा करने के लिए कितने पुलिस वालो को कितनी मेहनत करनी पड़ती है ये सिर्फ पुलिस को ही पता होता है। बहरहाल कड़कड़ाती सर्दी में जब हम रजाई ओढ़कर अपने घरो में हीटर जलाकर सोते है तब हमारी जान माल की सुरक्षा के लिए एक सिपाही रात को 2 -3 बजे किसी गली चौराहे में गश्त करता है। आप कल्पना कीजिये की यदि पुलिस नहीं हो तब समाज में चोरी, डकैती , लूटमार , हत्या , अपहरण और भी ना जाने कितने अपराध होंगे बेशक पुलिस पर काम ना करने और काम को सही तरीके से ना करने के आरोप लगते रहे लेकिन एक सच ये भी है की पुलिस के होने का डर ही कुछ अपराधो को होने से रोकता है। कोई भी गलत काम करने से पहले अपराधी कम से कम एक बार तो पुलिस के बारे में ज़रूर सोचता है। ये और बात है की राजनीतिक दबाव और पुलिस की ही कार्यप्रणाली से आज अपराधियो के दिलो से पुलिस का खौफ कम हुआ है। बहरहाल पुलिस के गुणगान या आलोचना करने का मेरा फिलहाल कोई इरादा नहीं है। लेकिन इतना ज़रूर है की पुलिस कर्मी दिन रात मेहनत से अपनी ड्यूटी करते है इसलिए की जनता सुरक्षित रहे और किसी के साथ अन्याय ना हो। दूसरा पहलु ये है की कुछ पुलिस कर्मी ऐसे भी है जिनके गलत कृत्यों से खाकी को अक्सर शर्मिंदा भी होना पड़ता है।

अकसर मुंह से गाली निकालते और कभी दोषी तो कभी निर्दोष पर डंडे चटकाती पुलिस का मानवीय चेहरा भी होता है लेकिन इस से कम ही लोगो का सामना होता है। लेकिन मुझे लगता है की अपनी कई खामियों के बीच समाज को पुलिस की ज़रुरत है। मेरी इस बात से बहुत से लोग शायद सहमत न हो लेकिन पुलिस ज़रूरी है बशर्ते पुलिस अपना काम ईमानदारी और क़ानून के दायरे में रहकर करे। रस्सी को सांप बनाने वाली पुलिस के बजाय किसी अपराधी को सुधार कर सही रास्ते पर लाने वाली पुलिस की ज़रुरत है। अपराधी नहीं बल्कि अपराध को समाप्त करने वाली पुलिस की ज़रुरत है। साथ ही ज़रुरत है 20 – 20 घंटे तक ड्यूटी करने वाले पुलिस के सिपाही को उसके अधिकार और सम्मान दिए जाने की लेकिन इसके साथ ही अपने कर्तव्य का पालन न करने वालो को इसकी सज़ा दिए जाने की भी इतनी ही ज़रुरत है। मुझे लगता है की थोड़े बदलावों के साथ हमें पुलिस की ज़रुरत है …

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