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धन्यवाद सचिन…

मन की बात
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लगातार 24 वर्षो तक अपने बल्ले कि चमक से दुनिया को चकाचौंध करने के बाद सचिन तेंदुलकर अब संन्यास लेने जा रहे है। वेस्टइंडीज़ के खिलाफ गुरूवार से मुबई में शुरू हो रहा टेस्ट मैच उनका आखिरी अंतरास्ट्रीय मैच होगा। इस मास्टर ब्लास्टर कि विदाई बेला पर पूरा देश नतमस्तक है जिधर देखो सचिन ही सचिन गूँज रहा है अखबारों के पेज सचिन के रंग में रंगे है न्यूज़ चेनल अपने अपने ढंग से सचिन का गुणगान करने में लगे है। हर कोई अपने तरीके से सचिन कि विदाई को यादगार बनाने में जुटा हर कोई इस खास पल का हिस्सा बनने को बेताब है जब एक महानायक विश्व क्रिकेट को अलविदा कहेगा। विश्व में शायद ही कोई खिलाड़ी होगा जिसे उसके रिटायरमेंट पर ऐसी अदभुत विदाई मिली होगी। हालांकि कुछ लोग इस पर सवाल भी उठा रहे है।
जब सचिन ने क्रिकेट खेलना शुरू किया तब मैं बहुत छोटा था लिहाज़ा उनकी शरुआत के बारे में मैंने सिर्फ अखबारो और मैगजीनों में ही पढ़ा है लेकिन नब्बे के मध्य दशक में जब क्रिकेट को लेकर मेरी समझ विकसित हुई उस वक़्त सचिन अपने बल्ले से मैदान में धमाल मचा रहे थे। दुसरे भारतियों कि तरह ही सचिन ही मेरे रोल मॉडल थे उस वक़्त शायद ही कोई गेंदबाज रहा हो जिसका सचिन ने अपने बल्ले से मानमर्दन न किया हो। मुझे आज भी याद है कि कैसे सचिन को क्रिकेट खेलते देखकर उनकी शैली में खेलने का अभ्यास हम लोग किया करते थे। उनका एक एक शतक एक एक रिकॉर्ड हमें जुबानी याद रहता था। सचिन कि बल्लेबाजी के अलावा जब उनकी खेल भावना और विनम्रता कि चर्चा होती थी तो कई बार हम अपने खेल के दौरान आउट होने को लेकर ज़रा भी संदेह उत्पन्न होने पर खुद ही मैदान से बाहर चले जाते थे। सचिन वास्तव में सिर्फ एक खिलाड़ी भर नहीं थे वह सही मायनो में महनायक थे जिन्होंने गरीबी बेरोजगारी भुखमरी जैसी तमाम समस्याओ से जूझने वाले भारतीयों को मुस्कराने और खुशिया मनाने के कई अवसर दिए जैसे ही सचिन मैदान में कोई नया कीर्तिमान रचते लोग अपने कुछ देर के लिए अपने सभी दुःख दर्द भूलकर जश्न में शामिल हो जाते।
सचिन जब मैदान में उतरते थे तो लोगो को पल पल उनके आउट होने का डर सताता रहता जब वो बल्लेबाज़ी करते लोग अपनी आँखे बंद करके उनके लिए दुआएं मांगते रहते थे। अंधविश्वास इतना कि सचिन जब मैदान में होते तो उनके फैन टी वी तक बंद कर दिया करते थे लोगो को लगता था कि अगर वो सचिन को खेलते देखेगे तो सचिन जल्दी आउट हो जायंगे ये भी एक दीवानगी ही थी कि जिस खिलाड़ी को इतना प्यार करते थे उसके लिए उसी का खेल देखना लोग गवारा नहीं करते थे। सिर्फ इसलिए कि ऐसा करने से ही ये खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन करेl मैं खुद उन लोगो में शामिल रहा हूँ अक्सर मैं सचिन को मैच के शुरू के पांच ओवर और जब वो 45 या 95 पर होते थे खेलते हुए नहीं देखता था और कमरे से बाहर चला जाता था उनका शतक होने के बाद ही मैं कमरे में वापस आता था। सचिन के आउट होने के बाद लोग टी वी बंद कर दिया करते थे बहुत से लोग ऐसे थे जो सचिन को खेलता देखने के लिए ही स्टेडियम में जाया करते थे और सचिन के आउट होने के बाद वापस लौट आया करते थे l भारत कि जीत से महत्तवपूर्ण सचिन का प्रदर्शन हुआ करता था। उनका कद क्रिकेट से बड़ा हो चला है। हालांकि इस महान खिलाड़ी ने कभी खुद को खेल से बड़ा नहीं समझा यही इस खिलाड़ी कि महानता है। क्रिकेट कि समझ न रखने वालो के लिए भी सचिन नायक थे। अक्सर लोग मैच का परिणाम पूछने से पहले सचिन ने कितने रन बनाये यह पूछते थे। कुछ ऐसा ही है इस महानायक का आभामंडल l
सचिन तेंदुलकर के लिए अगर मैं लिखने बैठ जाउ तो शायद सारी रात लिखता रहूँ तब भी कम होगा। उनके खेल , उनके रेकॉर्ड, उनकी शख्शियत , सबके लिए इतना लिखा जा चूका है अब और ज्यादा कुछ लिखने के लिए बचा ही नहीं है। इसलिए सिर्फ इतना ही कहूंगा के 24 वर्षो तक हमारी उम्मीदों को बोझ उठाने वाले, 24 वर्षों तक हमारे चेहरों पर मुस्कान संजोये रखने वाला देश का महानायक अब विदा मांग रहा है। आईये सब मिलकर इस महानायक को विदाई दें। बेशक़ सचिन खेल से रिटायर हो रहे है लेकिन हमारे दिल से वह कभी भी रिटायर नहीं होंगे। मैं उनके लिए ज्यादा कुछ नहीं कह सकता दिल कि भावनाए तो बहुत कुछ कह रही है लेकिन मेरे पास शब्द नहीं है कि मैं अपने नायक इस महान खिलाड़ी कि प्रशंसा कर संकू … सिर्फ इतना ही कह सकता हूँ कि हमें गर्व ही कि सचिन ने देश में जन्म लिया,,,,,,,, हमें गर्व है कि हमने सचिन को खेलते देखा …. धन्यवाद सचिन…

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