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शायद लोकपाल कि ज़रुरत ही न पड़े……….

मन की बात
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अन्ना हज़ारे एक बार फिर जनलोकपाल के लिए अनशन पर है। हाल ही में विधानसभा चुनावे में मिली हार और आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार भी लोकपाल को संसद में ले आयी है। सपा को छोड़कर अधिकांश राजनीतिक दल भी लोकपाल के समर्थन में है। देश को लोग भी लोकपाल लाने कि इस मुहिम में बढ़ चढ़कर शामिल है कोई अनशन कर रहा है तो कोई कैंडल मार्च निकाल रहा है।

लेकिन मेरे मन में सिर्फ कुछ सवाल है ” क्या लोकपाल आने के बाद देश में भ्रस्टाचार का जड़ से खात्मा हो जायेगा ”?
क्या लोकपाल कोई जादू कि छड़ी है जिसको घुमाने भर से बईमान लोग रिश्वत लेना बंद कर देंगे ?
क्या लोकपाल आने के बाद आपको चौराहे पर खड़े सिपाही को हेलमेट न होने पर पैसे नहीं देने होंगे ?
क्या लोकपाल आने के बाद सरकारी दफ्तर के बाबू बिना पैसा लिए आपका काम कर देंगे ?
क्या लोकपाल आने के बाद भ्रष्ट नेता पैसा खाना बंद कर देंगे ?
जो लोग आँखे बंद करके लोकपाल लाने कि वकालत कर रहे है या परोक्ष या अपरोक्ष रूप से लोकपाल आंदोलन में शामिल है उनमे से कितने लोगो ने लोकपाल बिल का ड्राफ्ट पढ़ा है। कितने लोगो को लोकपाल बिल में किये गए प्रावधानो कि समुचित जानकारी है। क्या आपको सौ फीसदी यक़ीन है कि लोकपाल आने भर से देश से भ्रष्टाचार का नामो निशान मिट जाएगा।
लोकपाल बिल को लेकर अनशन के दोरान राजनीतज्ञों से दूरी बनाने वाले अन्ना हज़ारे कैसे राजनीती के शिकार हुए है सब जानते है। कभी गैर राजनीतिक कहलाने वाली जनलोकपाल कि मुहिम आज राजनीतिक स्वार्थसिद्धि का साधन मात्र बनकर रह गयी है। जनलोकपाल को लेकर हुए पहले आंदोलन में शामिल रहे अरविन्द केजरीवाल आज सत्ता कि जद्दोजहद में उलझे है।

बेहतर होगा कि भ्रष्टाचार के सफाये के लिए लोकपाल कि और ताकने के बजाय हम सब मिलकर इसके खिलाफ आवाज उठाये पहले खुद रिश्वत लेना देना बंद करे भ्रष्टाचार के खात्मे कि शुरुआत पहले खुद से करे। यक़ीन करिये यदि आपने खुद को बदला तो शायद लोकपाल कि ज़रुरत ही न पड़े।

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