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संस्कृति…..

मन की बात
मन की बात
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भीषण गर्मी में 150 किलोमीटर का सफर सड़क के रास्ते ….लेकिन में कभी कभी ऐसी मूर्खता करता हूँ …..कल भी कुछ ऐसा ही था ..दो दिन यू पी की गर्मी झेलने के बाद में वापस लौट रहा था । दिल्ली गजरौला हरिद्वार हाईवे पर सफर के दौरान थकान और प्यास से मारा मैं एक विदेशी रेस्तरां में जा बैठा । भीषण गर्मी थी मुझे उम्मीद थी यंहा सबसे पहले मैं ठंडे पानी से गला तर करूँगा फिर पेट पूजा होगी । बहरहाल पानी तो दूर की बात कोई पूछने नही आया । दरअसल इन रेस्तरां में प्री पेड़ सर्विस होती है पहले खुद काउंटर पर जाकर ऑर्डर और उसके अनुसार पैसे दीजिये फिर अपना खाने का सामान उठाकर खुद ले जाइये । मैंने इस अंग्रेज़ी नियम को फॉलो किया लेकिन पानी की मेरी तलाश अधूरी थी। जानकारी पर बताया गया यंहा आपको ऐसे पानी नही मिलेगा। आपको बोतलबंद पानी खरीदकर पीना होगा । करोडों का रेस्तरां और एक गिलास पानी नही दुःख और क्षोभ दोनों मेरे मन में आये । लेकिन अपने ऑर्डर का बिल पे कर चुका होने के कारण चूंकि मेरे पास दूसरा विकल्प नही था लिहाज़ा खाने के साथ 30 रुपये में पानी की बोतल भी खरीदकर मैंने प्यास बुझायी और निकल लिया । इसके बाद करीब दो घँटे के सफर के बाद में बिजनोर मे एक चौक पर स्थित एक दुकान पर रुका । मुझे बताया गया कि इस दुकान पर समोसे और छोले भटूरे अच्छे मिलते हैछोटी सी दुकान के बाहर लगी कढाई पर तीन लोग गरम समोसे बनाने में लगे थे । लेकिन मेरे रुकने की वजह पहले वाली थी प्यास …..दुकान के भीतर मैं बैंच पर बैठ गया। एक लड़का आया और पानी से भरा जग। और स्टील का एक गिलास मेरे सामने रखकर चला गया । उसने परवाह नही की कि मैं उसकी दुकान से कुछ खाऊंगा भी या नही हो सकता है मैं केवल पानी पीकर मुफ्त में ही वँहा से निकल जाता। लेकिन उसे परवाह ना थी । बुलाने पर ही मेरे पास आया मेने लस्सी और दो समोसे मंगाये लड़का अगले दो मिनट में दोनों चीज़ मेरे सामने टेबल पर रखकर चला गया। लस्सी समोसे मुझे उस महंगे रेस्तरां के पिज़्ज़ा और विदेशी ड्रिंक से ज्यादा स्वादिष्ट लगे । खाने के बाद में काउंटर पर गया लेकिन दुकान स्वामी दूसरे ग्राहकों में उलझा था। उसके लिए इसका कोईमहत्त्व नही था कि मैं बिना पैसे चुकाए वँहा से निकल सकता हूँ । बहरहाल पैसे चुकाने के बाद में बाहर निकल आया । इसके बाद गाड़ी चलाते हुए मैं बस सोचने लगा …बड़े रेस्तरां वाले कि नज़र में हम बेईमान जो खाने के बाद पैसे नही देंगे इसलिए खाने से पहले पैसे लेते है ….दूसरा यंहा कोई आपको मुफ्त में पानी तक नही पिलाने वाला ….दूसरी औऱ एक छोटी सी दुकान जंहा आपको मुफ्त पानी मिलता है और खाना खिलाने के बाद आपसे पैसे मांगे जाते हैं…..शायद ये फर्क भारतीय और विदेशी संस्कृति का है …….

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