samras
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ये रेल जर्नी बड़ी दुखदायी है।
ये रेल की जर्नी बड़ी दुखदायी है,
120 दिवस में टिकट वेटिंग पाई है ।
आरक्षित डिब्बे भीड़ से भरे हैं,
एक सीट पर तीन चार लदे हैं।
रास्ता सामान से पटा पड़ा है,
कदम डगमगाके लड़खड़ा रहे हैं।
रेल यात्रा मंहगी होती जा रही है,
सुविधाऍं और संकुचित हो रही हैं।
यूँ तो ट्रेन की गति बढ़ रही है,
परंतु औसत गति कम मिल रही है।
एक्सप्रेस ट्रेनें सुपरफास्ट हो रही हैं,
यात्रासमय और लम्बा हो रहा है।
यात्री खाना मंहगा मिल रहा है,
दाल रोटी सब्जी बेरंग दिख रहा है।
सभी आपाधापी में मशगूल हो रहे हैं,
सरकारी धन का टोटा पड़ रहा है।
रेल परियोजनाऍं सिसक रही हैं
स्टेशनों पर ट्रेनें रुकी दिख रही हैं।
यात्रियों की संख्या हर रोज बढ़ रही है,
ढॉंचागत विकास बहुत कम पड़ रहा है।
सुविधाऍं बढ़ेंगी, ट्रेनें बढ़ेंगी तब
वेटिंग लिस्ट स्वत: ही हटेगी।
– राजीव सक्सेना
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