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हमसफ़र चाहता हूँ

राजीव उपाध्याय
राजीव उपाध्याय
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हमसफ़र चाहता हूँ,

बस इक तेरी नज़र चाहता हूँ।

जिन्दगी कुछ यूँ हो मेरी,

बस इक घर चाहता हूँ॥

हमसफ़र चाहता हूँ॥


कदम दो कदम जो चलना जिन्दगी में

कदमों पे तेरे, कदम चाहता हूँ।

लबों पे खुशी हो तेरे सदा

ऐसी कोई कसम चाहता हूँ।

हमसफ़र चाहता हूँ॥


राह-ए-जिन्दगी होगी हसीन

ग़र संग हम दोनों चलें

फूलों में देखो, हैं रंग कितने

उन्हीं में जीवन बसर चाहता हूँ।

हमसफ़र चाहता हूँ॥
© राजीव उपाध्याय

स्वयं शून्य

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