सोचिये-विचारिये
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दिसम्बर २०१२ के बाद दिल्ली एक बार फिर दहल उठी.निर्भया के हत्यारों को हमारी न्याय व्यवस्था दंड भी न सुना सकी थी की पांच वर्ष की मासूम देवी हैवानियत का शिकार बन गयी.
दिल्ली की मुख्य मंत्री तो इस घटना से इतनी आहात हुई की उन्होंने मौन ही धारण कर लिया. निर्भया की घटना के बाद जो गृह मंत्री स्वयं बेटियों का पिता होने का हवाला दे रहे थे वे भी बेचारे सदमे से मौन हो गए. दिल्ली पुलिस के उच्च अधिकारीयों ने लड़कियों पर थप्पड़ जमा अपनी महान वीरता का परिचय दिया.
देश की सत्ता पर काबिज संप्रग की अध्यक्षा ने कहा- अब बयानों की नहीं कार्यवाही की जरुरत है.
मोहतरमा से देश का मासूम प्रश्न है – मैडम सत्ता में तो आप है फिर कार्यवाही कौन और कब करेगा ??????????????????????
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