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क्या भ्रष्टाचार का कीर्तिमान बनायेंगे हम?

सोचिये-विचारिये
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भारत के महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस पार्टी को अवश्य इस बात पर गर्व होगा की उनके कार्यकाल में भारत भ्रष्टाचार के मामले में ८७ से ९५ नंबर पर पहुँच गया. अभी तो मनमोहन सिंह का कार्यकाल बाकी है हो सकता है की हमारा देश इस क्षेत्र में और तरक्की कर जाये. वर्तमान समय में भारत में राजनैतिक भ्रष्टाचार अपने चरम पर है. प्रमुख भाजपा नेता लाल कृष्ण अडवाणी ने भी एक साक्षात्कार में स्वीकार किया है की राजनेता माने भ्रष्ट माना जाने लगा है. केंद्र में सत्तारूढ़ दल के युवराज उत्तर प्रदेश में सत्ता की सम्भावना टटोल रहे है. वे कहते है हमारी सरकार ने भ्रष्ट नेताओं को जेल भेजा है. किन्तु वे यह भूल जाते है की टू जी घोटाले में जेल गए मंत्री उनकी सरकार की सक्रियता से जेल नहीं गए वे सुप्रीम कोर्ट की जागरूकता से जेल गए. भारी राजनैतिक भ्रष्टाचार ही महंगाई का मूल कारण है. भ्रष्टाचार और महंगाई से उत्पन्न हताशा का परिणाम गत दिनों एक केन्द्रीय मंत्री ने अपने गाल पर महसूस किया था. प्रतीत होता है की सरकार देश के नागरिकों की सहन शीलता की परीक्षा लेते हुए भ्रष्टाचार के कीर्तिमान बनाने में व्यस्त है.

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