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तब और अब की आम आदमी पार्टी

सोचिये-विचारिये
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भ्रष्टाचार के विरुद्ध चलाये गये आन्दोलन से उपजी आम आदमी पार्टी कुछ ही वर्षों में राह से भटक गयी मालूम पड़ती है. दिल्ली में प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने के मात्र दो वर्षों में ही जितने विवाद इस पार्टी के मंत्रियों और विधायकों के साथ जुड़े है उतने दुसरे किसी पार्टी के साथ नहीं जुड़े होंगे.

संसद की सुरक्षा को ताक पर रखने वाला इनका सांसद हो या राशन कार्ड के नाम पर महिलाओं का शोषण करता मंत्री, नैतिकता को भूल कर सभी का इस पार्टी ने बचाव किया है. एक अय्याश मंत्री की तुलना राष्ट्रपिता से करने वाले आप नेता और पूर्व पत्रकार आशुतोष को शर्म भी नहीं आई.

आम आदमी पार्टी दम्भी और झगडालू किस्म के लोगों का समूह है जो बचाव के लिए हमेशा आक्रमण को ही सही नीति मानता है. आश्चर्य है की यह पार्टी देश पर शासन करने का सपना देख रही है जबकि अपने दंभ के लिए इनके नेता देश की सुरक्षा से भी खिलवाड़ करने से भी नहीं चूक रहे.

दिल्ली में विकास कार्य करने में पूरी तरह असफल यह पार्टी अपनी विफलताओं का ठीकरा मोदी सरकार के ऊपर फोड़ देती है. दिल्ली के लोगों को तो इस पार्टी की हकीकत समझ में आ गयी होगी, अब देश भर के लोगों को भी गैर जिम्मेदार, दम्भी और आक्रमक लोगो की पार्टी की हकीकत समझ लेनी चाहिए.

तब भारतीय समाज की दुखती रग भ्रष्टाचार पर ऊँगली रख कर सत्ता में आई आम आदमी पार्टी, अब सामान्य राजनैतिक पार्टियों से भी अधिक सामान्य बन कर रह गयी है.

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