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देश में प्रभावी लोकपाल कानून के लिए लड़ रहे अन्ना हजारे की मुहिम को अमेठी के ९० फ़ीसदी और चांदनी चौक के ८४ फ़ीसदी लोगों ने समर्थन दे कर यह साबित कर दिया है कि अपने जनप्रतिनिधि के रूप में बेशक उन्होंने राहुल गाँधी और कपिल सिब्बल को चुना है किन्तु भ्रष्टाचार उन्हें स्वीकार नहीं है. महंगाई, आन्तरिक सुरक्षा, विदेश नीति और भ्रष्टाचार सहित लगभग सभी मोर्चों पर फेल रही यूपीए सरकार अब लोकपाल के मुद्दे पर भी अपनी किरकिरी कराने को तैयार है. सरकार ने पहले तो अन्ना हजारे की समिति से बातचीत करने का नाटक किया और फिर उनके द्वारा रखे गए लोकपाल मसौदे को पूरी तरह ख़ारिज करते हुए अपना लोकपाल ही संसद में रखने के लिए मंत्रिमंडल से पास करा लिया. बेहतर होता की सरकार अन्ना हजारे की समिति से बातचीत के लिए संयुक्त संसदीय समिति बनाती जिसमे सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष के भी सांसद होते. किन्तु सरकार इस मामले में किसी की सुनने को ही राजी नहीं है. अब अन्ना हजारे ने एक सशक्त लोकपाल कानून के लिए अनशन करने का फैसला किया है. अन्ना को पहले भी देश भर से व्यापक समर्थन मिला था और अब दोबारा भी देश अन्ना के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ने को तैयार दिखाई देता है. स्पेक्ट्रम और कॉमनवेल्थ खेलों जैसे अत्यंत बड़े घोटालों से देश सकते में है. अब सरकार और अन्य राजनैतिक दलों को भ्रष्टाचार से तौबा करनी ही होगी अन्यथा देश के नागरिक भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने के लिए अन्ना हजारे का साथ देने को तैयार है.
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