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मध्य प्रदेश सरकार द्वारा नदियों को पुनर्जीवन देने का कार्य प्रशंसनीय एवं स्वागत योग्य है. आने वाली पीदियों के लिए “जल” बचाने को इसी प्रकार के सार्थक प्रयासों की आवश्यकता है. जल संरक्षण के महत्त्व को सैकड़ो साल पहले के शासकों (राजा-महाराजा नबाब- बादशाहों) ने आज के शासकों से बेहतर समझा था. उन्होंने स्थान-स्थान पर तालाब और बावड़ियाँ बनवाई. तालाब और बावड़ियाँ जल संरक्षण के लिए आज भी उतने ही आवश्यक और प्रासंगिक है जितने सैकड़ों वर्ष पूर्व थे. बल्कि भारी मात्रा में भूगर्भीय जलदोहन के वर्तमान समय में इनकी आवश्यकता और भी अधिक है. किन्तु खेद का विषय है की आज नदियों और तालाबों की भूमि पर अवैध कब्जे किये जा रहे है और इनका आकार कम से कमतर होता जा रहा है.
मध्य प्रदेश के नदियों के पुनर्जीवन कार्यक्रम को सभी प्रदेशों में लागू किया जाना चाहिए और निस्वार्थ भाव से जल संरक्षण के कार्य में लगे राजेन्द्र सिंह जैसे लोगो का सहयोग और मार्गदर्शन इस कार्य में लिया जाना चाहिए, तभी हम आने वाले कल के लिए जल बचा सकेंगे.
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