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देश के खुदरा व्यापार को विदेशी व्यापारिक समूहों के लिए खोलने के केंद्र सरकार के निर्णय को किसी भी रूप में उचित नहीं कहा जा सकता . खुदरा व्यापार के क्षेत्र में औद्योगिक समूहों के आने से न भारत के किसानों का भला होगा और न ही भारत के छोटे उद्योगों का. छोटे दुकानदार और परचून व्यापारी तो इस निर्णय से बेरोजगार होने की स्तिथि में आ जायेंगे. कभी भारत की रियासतों के शासकों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी को व्यापार की अनुमति देने की भयंकर भूल की थी जिसका दुष्परिणाम हुआ की ईस्ट इंडिया कम्पनी ने सारे भारत पर कब्ज़ा ही कर लिया था. उसी प्रकार यह खुदरा व्यापारी समूह भी भारत के पांच लाख करोड़ के खुदरा व्यापार पर नजर जमाये है जिसके पीछे उनकी मंशा देश के व्यापार पर कब्ज़ा करने की हो सकती है.
विश्व का सबसे बड़ा खुदरा व्यापार समूह वालमार्ट ने दुनिया के कई देशों में मंदी के चलते घटा उठाने के बाद भारत के अत्यंत विशाल खुदरा बाजार पर नजर जमाई है. भारत के उद्योगपति भी वालमार्ट के साथ परचूनी बनने की होड़ में है. येन केन प्रकरेण वालमार्ट भारत में व्यापार की अनुमति चाहता है. भारतीय खुदरा व्यापारियों के हितो से बेफिक्र हमारी सरकार भी उसका स्वागत करने को तैयार है. क्या यह विदेशी ताकतों का दबाब है अथवा एक और स्पेक्ट्रम ?
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