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पडोसी देशों के साथ सम्बन्ध मजबूत करने की प्रधान मंत्री मोदी की निति बिलकुल सही दिशा में आगे बढ़ रही है. पिछले दस वर्षों में संप्रग सरकार ने नेपाल एवं अन्य पड़ोसी देशों की उपेक्षा कर वहां से भारत विरोधी कार्यवाहियों को संचालित होने दिया. प्रधान मंत्री बनने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भूटान को चुन कर मोदी ने यह जाता दिया था की भारत की प्राथमिकता अपने पड़ोसी देशों के साथ सम्बन्ध सुधारने एवं मजबूत करने की है. भूटान के बाद नेपाल की यात्रा कर मोदी ने पाकिस्तान सरीखे भारत विरोधी मुल्कों को स्पष्ट संकेत दे दिया है की यदि उन्होंने अपना भारत विरोधी रवैय्या नहीं सुधारा तो दक्षिण एशिया में वे अलग थलग पड़ जायेंगे. दक्षिण एशिया देशों में भारत सबसे बड़ा और शक्तिशाली देश है. फिर भी भारत को आज तक बड़े भाई का वह दर्जा हासिल नही हुआ जिसका भारत हक़दार है. पड़ोसी देश हमारे खिलाफ षड्यंत्र करते रहे हम चुप रहे. पकिस्तान से आतंकवाद, नकली करेंसी और बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ होती रही और भारत की विदेश निति मौन रही. अब प्रधान मंत्री मोदी ने सही दिशा में कदम बढाया है. पहले मित्र देशों को पूरी तरह से अपना बनाया जाये जिससे विरोधी देशों को स्पष्ट चेतावनी पहुंचे और वे खुद ही सुधरने की पहल करने को मजबूर हो जाये.
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