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मिस कोरोना का सफरनामा

Is this India ?
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मनुष्यता को चुनौती देकर ,
कमबख्त बेधड़क जा रही थी,
शबनम की बूंदों से अतृप्त ,
अभिलाषी को पुकार रही थी ,
राजा-रंक युवा-बच्चे-बूढ़े पर ,
एकाएक डोरे डाल रही थी ,
सूरत-मूरत से परहेज नहीं ,
सबको शिकार बना रही थी ,
वक्षस्थलीय दूषित प्रवाह से ,
संक्रमित पान करवा रही थी ,
हवाई यात्रा देश-विदेश भ्रमण ,
वैश्विक चेले-चाटी बना रही थी ,

 

चंदेक दिनों में ज़हरीली नागिन ,
सात समुंदर पार जा रही थी ,
सड़क रेल वायु जल मार्गों पर ,
अधिपत्य अपना जमा रही थी ,
अदृश्य-काया मनहूस – साया,
अनगिनत अड्डे बना रही थी ,
स्वार्थपरायण तिकड़मी महबूबा ,
विषाणु- मकड़जाल बना रही थी ,
निर्लज्ज आवेश वैश्विक परिवेश ,
श्रृंखलाबद्ध सखियां बना रही थी ,
अनामिका-परछाई ऑफत लाई ,
प्रकाश-गति को पछाड़ रही थी ,
मौत की सौदागरनी हर-पल ,
लाशों के ढेर लगा रही थी ,

 

 

अमेरिका-इटली-स्पेन-फ्रांस-इंग्लैंड ,
महाशक्तियों को हरा रही थी ,
200 देशों की अति-वांछित चुड़ैल ,
डेढ़-लाख मानव खा चुकी थी ,
जैविक-तोप संचार-प्रसार-वाहिनी,
तृतीय विश्वयुद्ध बता रही थी ,
हिंदुस्तान में दस्तक देकर ,
फूले नहीं समा रही थी ,
135 करोड़ ग्राहक देखकर ,
धंधा अपना फैला रही थी ,
कोरोना-वायरस-बैंक प्रबंधक ,
शाखाएं अपनी बढ़ा रही थी ,
चक्रवृद्धि ब्याज की चहेती ,
जालसाजी–दलाल बना रही थी ,
लॉकडाउन-पंजा हिंदुस्तानी-शिकंजा ,
हसीना आशियाना ढूंढ रही थी ,
हॉटस्पॉट खलनायिका एकांतवास ,
लक्ष्मणरेखा लॉघ नहीं पा रही थी ,

 

 

धौंकनी की तरह घुट-घुट कर ,
चक्रव्यूह भेदन तलाश रही थी ,
घाट घाट का पानी पीकर ,
कड़वे घूंट पिला रही थी ,
ओछे-हथकंडे कपटी-सरकंडे ,
यथासंभव शक्ति लगा रही थी ,
कर्म-धर्म-वैचारिक-अस्पृश्यता ,
अफवाहें चौतरफा फैला रही थी ,
छलिया-गुड़िया जहर की पुड़िया ,
बेचैन-चमगादड़ फड़फड़ा रही थी ,
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के प्रहार से ,
लॉर्ड यम को पुकार रही थी ,
हसरत थी जो उसके मन में ,
महबूबा किस्सा सुना रही थी ,
मृत्युलोक की चहेती हसीना,
व्यथा अपनी सुना रही थी ,
ड्रैगन-नर्तकी यांग्सी-ठुमके ,
ह्वांगहो-संगीत सुना रही थी ,

 

 

युन्नान गुफाओं की चमगादड़ ,
चीनी खानाबदोश बता रही थी ,
प्लेग–सार्स वंश की संरक्षिका ,
“कोविड-19” दुलार रही थी ,
वुहान शहर से भटकी निशाचर ,
घड़ियाली आंसू बहा रही थी ,
चमगादड़ के पंजों से लिपट कर ,
उल्टे-पांव चीन लौट रही थी ,
गर्दिशों को कड़ी चुनौती देकर ,
हाल-ए-दिल सुना रही थी,
जैविक–कीटाणु मुकुट-धारक ,
“मिस-कोरोना” नाम बता रही थी !

 

 

नोट : ये लेखक के निजी विचार हैं और इसके लिए वह स्वयं उत्तरदायी हैं।

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