मेरी आवाज़ सुनो
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मैं लहर बनना चाहता हूँ।
समुद्र की ऊँची-ऊँची लहर,
जो उठती है छूने को आसमान,
और जब गिरती है,
तब बहा ले जाती है,
किनारों के समस्त बर्ज्य पदार्थों को
अपने साथ।
दबा लेती है उन समस्त वर्ज्य पदार्थों को –
अपने अंदर,
ताकि बना रहे किनारों का सौंदर्य।
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