मेरी आवाज़ सुनो
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काश कोई वक्त की पहिया थमा देता /
तो ऋतुराज बसंत अलविदा ना होता /
कोकिलों की कुहुक, भ्रमरों की गुंजार /
आमों की मंजरियाँ, टेसुओं की बहार /
धरती का यौवन कभी कम ना होता /
काश कोई वक्त की पहिया थमा देता /
तो ऋतुराज बसंत अलविदा ना होता /
नव पल्ल्व, नव उमंग, नव जीवन, /
स्फूर्ति, जोश, मादकता से भरा मन
प्रीत और मनुहार कभी ख़त्म ना होता /
काश कोई वक्त की पहिया थमा देता /
तो ऋतुराज बसंत अलविदा ना होता /
कोमल कपोलें और सुगन्धित हवाएं /
ओढ़ी पिली चुनरियाँ मन को बहकायें /
फागुन का रंग कभी मद्धम ना होता /
काश कोई वक्त की पहिया थमा देता /
तो ऋतुराज बसंत अलविदा ना होता /
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